जमीन में दफनाई गई 30 क्विंटल मांगुर मछली, आंध्र प्रदेश से हो रही थी तस्करी

Chhattisgarh Crimes

कोंडागांव। जिले में प्रशासन ने करीब 30 क्विंटल मांगुर मछली को जमीन में दफना दिया। मांस खाने वाली इस मछली का उत्पादन, परिवहन और सेवन पूरे भारत में बैन है। आंध्र प्रदेश के तस्कर CG के रास्ते इस मछली की तस्करी कर रहे थे। बीच रास्ते में ट्रक खराब हुआ और प्रशासन को इसकी खबर मिली। जिसके बाद बीच जंगल में गड्ढा खोदकर एक ट्रक मछली को नष्ट कर दिया गया है। मामला जिले के बोरगांव थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के कुछ तस्कर ट्रक में 30 क्विंटल मांगुर मछली भरकर उत्तर प्रदेश जा रहे थे। बस्तर के कोंडागांव जिले के बोरगांव में NH-30 पर ट्रक खराब हो गया। जिसके बाद तस्करों ने दूसरा ट्रक मंगवाया और उसमें सारी मछली को लोड कर रहे थे। इस बीच गांव वालों की नजर इन पर पड़ी। ग्रामीणों ने इस बात की खबर फौरन प्रशासन को दी। जिसके बाद मत्स्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची।

जंगल में मत्स्य विभाग की टीम ने एक बड़ा सा गड्ढा खुदवाया और उस गड्ढे में सारी मछलियों को डलवा दिया। जिसके बाद गड्ढे को वापस मिट्टी से पाट दिया गया। मत्स्य विभाग की अधिकारी मीनाक्षी मरकाम ने कहा, इस मछली का सेवन करना और इसका उत्पादन करना पूरी तरीके से बैन है। इसकी जानकारी मिलते ही कार्रवाई की गई है। इन मछलियों की कीमत करीब लगभग 6 लाख है।

क्यों है बैन?

मांगुर मछली मगरमच्छ और देसी मोंगरी मछली की प्रजाति है। इस मछली को जिस भी तालाब में डाला जाता है वह तालाब की अन्य मछलियों को अपना आहार बना लेती है। पानी का इको सिस्टम खत्म कर देती है और इंसानों का मांस तक खा जाती है। अफसरों का मानना है कि आम मछलियों की तुलना में ये काफी जल्दी बड़ी होती हैं। इसे खाने से डायबिटीज और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों के होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। पूरी तरह से नुकसानदेह इस मछली को इसके बावजूद पाला और बेचा जाता है, क्योंकि इसे खाने वाले भी बड़ी तादात में हैं।

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