साथ ही जेल से बाहर निकले वक्त मुस्कराते हुए दिखा। सूर्यकांत सफेद शर्ट-पैंट और जैकेट पहने, हाथ में बैग लिए जेल से बाहर निकला। जेल के बाहर उसके दोस्त और रिश्तेदार इंतजार कर रहे थे। सभी से मुलाकात की और कार में बैठकर घर चला गया।
दरअसल, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से सूर्यकांत तिवारी को जमानत मिली है। सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, शशांक मिश्रा और तुषार गिरि ने कोर्ट में पैरवी की थी। जमानत मिलने के बाद सूर्यकांत को कोर्ट की तय की गई सभी शर्तों का पालन करना होगा। सूर्यकांत ने 29 अक्टूबर 2022 को जस्टिस अजय सिंह राजपूत की अदालत में सरेंडर किया था।
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने की सुनवाई
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में हुई थी, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय माल्या बागची शामिल थे। बेंच ने मई में दिए गए आदेश के तहत सूर्यकांत तिवारी की जमानत पर कुछ शर्तें लगाई। इसके अनुसार, तिवारी को छत्तीसगढ़ में तभी रहना होगा, जब जांच एजेंसियों या निचली अदालतों को उनकी जरूरत हो।
एक साथ 2 मामलों में सुनवाई कर रहा था सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट 2 मामलों की एक साथ सुनवाई कर रहा था। पहले मामले में, सूर्यकांत तिवारी ने DMF घोटाले में अंतरिम जमानत मांगी थी। दूसरा मामला कोयला लेवी घोटाले से जुड़ा था, जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।
जारी किए गए आदेश में कहा गया
कोर्ट ने कहा कि हमारा मानना है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ता को इस समय अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है। निष्पक्षता बनाए रखने के लिए हम फिलहाल दोनों पक्षों की दलीलों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस तरह के समग्र विचार को अंतिम सुनवाई के चरण तक टालना बेहतर है।
पढ़िए और क्या-क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
कोयला लेवी घोटाले में सूर्यकांत तिवारी की जमानत रद्द करने की याचिका पर, अदालत ने कहा कि हमने याचिकाकर्ता सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम जमानत देने के 29 मई 2025 के अपने आदेश को वापस लेने के लिए दिए गए आधारों पर विधिवत विचार किया है।
हालांकि, हमें इस समय वर्तमान आवेदन पर विचार करने का कोई ठोस कारण नहीं दिखता, इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। साथ ही, अदालत ने अभियोजन पक्ष को यह स्वतंत्रता सुरक्षित रखी कि यदि रियायत के दुरुपयोग से संबंधित कोई तथ्य सामने आता है, तो वह तिवारी की अंतरिम जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है।