शराब घोटाला…भूपेश के बेटे चैतन्य की रिमांड एक दिन बढ़ी

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को रायपुर स्पेशल कोर्ट ने एक दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा है। शराब घोटाला केस में जेल में बंद चैतन्य की 14 दिन की न्यायिक रिमांड आज खत्म हुई। चैतन्य को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में चैतन्य बघेल की 5 दिनों की कस्टोडियल रिमांड की मांग की थी। लेकिन कोर्ट में कंडोलेंस होने के कारण चैतन्य बघेल को 1 दिन के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। ED की ओर से लगाए आवेदन पर कल मंगलवार को फिर सुनवाई होगी।

पिछली सुनवाई 4 अगस्त को हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने चैतन्य को न्यायिक रिमांड पर भेजा था। इसके पहले चैतन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी को गलत बताते हुए चुनौती दी गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई से इनकार कर हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था। इसके बाद भूपेश और चैतन्य के वकील हर्षवर्धन परगनिहा ने याचिका दायर की है।

चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले- ED

दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को भिलाई से गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं।

ED के मुताबिक शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया गया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है।

चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट

ED ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे।

प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।

फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी

ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।

ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ।

ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।

5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर

ED के मुताबिक भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए, लेकिन ED की जांच में सामने आया कि जो 5 करोड़ रुपए चैतन्य की दो कंपनियों को लोन के रूप में दिया गया ।

बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिसकी कीमत 80 लाख थी। ED ने बताया कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था। यह पैसा बैंक के जरिए ट्रांसफर किया गया। ताकि कैश को लीगल दिखाया जा सके।

पैसा छुपाने के लिए फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल

ED का दावा है कि चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा पाने के लिए दूसरे लोगों और कंपनियों का इस्तेमाल किया ताकि ED और अन्य एजेंसियां ट्रैक न कर सकें।

जैसे ढिल्लन सिटी मॉल में पैसा आया, फिर ढिल्लन ड्रिंक्स से कर्मचारियों को पैसा ट्रांसफर हुआ, फिर वही पैसा बघेल डेवलपर्स को दिया गया। ED का दावा है कि चैतन्य बघेल के पास 16.70 करोड़ के अवैध घोटाले के पैसे आए।

जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। इस घोटाले में राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी, कारोबारी सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज है।

ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

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