छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के रेलवे कॉलोनी में स्थित करीब 32 घरों पर रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर चलाया

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ में जगदलपुर के रेलवे कॉलोनी में स्थित करीब 32 घरों पर रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है। रेलवे का कहना है कि ये जमीन रेलवे की है। यहां अवैध कब्जा कर मकान बना लिए थे। पहले नोटिस थमाकर खाली करने कहा था। नहीं किए तो दीवाली त्योहार से पहले कार्रवाई की।

इधर, उस इलाके के रहवासियों का कहना है कि हमें कोई नोटिस नहीं मिला। हम घर में भी नहीं थे और रेलवे प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर घर तोड़ दिया है। वहीं इस मामले में अब सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस और भाजपा के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।

ये है पूरा मामला

दरअसल, यह मामला संजय गांधी वार्ड का है। शनिवार को यहां रेलवे के अफसर और पुलिस जवान पहुंच गए। फिर एक-एक कर अवैध तरीके से बने सारे मकानों पर बुलडोजर चलाया गया। कार्रवाई की जानकारी मिलते ही कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य, पार्षद कोमल सेना और पार्टी कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे।

जमकर हुआ बवाल

प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया। कांग्रेस जिला अध्यक्ष का कहना है कि रेलवे प्रशासन ने यहां के रहवासियों को बिना सूचना दिए इस तरह की कार्रवाई की, जिससे 50 से ज्यादा परिवार बेघर हो गए हैं। दिवाली त्योहार से पहले रेलवे प्रशासन ने उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया है। ये लोग अब कहां रहेंगे?

हमें नहीं दिया कोई नोटिस – पीड़ित

रहवासियों ने कहा कि उन्हें पूर्व में कोई सूचना नहीं दी गई थी। सभी सुबह जब अपने-अपने काम पर गए थे, तभी पुलिस और रेलवे के कर्मचारी उनके घरों पर बुलडोजर चढ़ा दिए।

जिनसे उनका सब कुछ तबाह हो गया। नगर निगम को टैक्स और नल बिल का भुगतान करने के बावजूद निगम सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की।

उन्होंने कहा कि, कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन भी किए। जिनमें कुछ लोगों को मकान का लाभ मिला लेकिन अब 50 से ज्यादा परिवार बेघर हो गए हैं। रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं है।

अफसर बोले- रेलवे की संपत्ति पर अवैध कब्जा

रेलवे प्रशासन के एडीएम नागा पसर ने कहा कि यह जमीन रेलवे की संपत्ति है, जिस पर अवैध रूप से मकान बनाकर लोग निवास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग ने पूर्व में सभी को नोटिस दिया था। हाई लेवल से भूमि खाली कराने के निर्देश मिले थे। पिछले दो माह से नोटिस जारी कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि, यह जगह रेलवे कर्मियों के लिए जरूरी क्षेत्र में आती है। 2 अक्टूबर को अतिक्रमण हटाने की तिथि तय की गई थी। हालांकि, दशहरा त्योहार के चलते कार्रवाई स्थगित कर दी गई थी। जिसके बाद शनिवार 11 अक्टूबर को अभियान दोबारा शुरू किया गया है।

पार्षद बोलीं- मुझे भी नहीं दिए जानकारी

संजय गांधी वार्ड की पार्षद कोमल सेना (कांग्रेस) ने भी प्रशासनिक कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि वार्ड पार्षद होने के नाते रेलवे विभाग ने मुझे किसी तरह की सूचना नहीं दी। अधिकारियों ने कहा था कि सिर्फ दो लाइनें तोड़ी जाएंगी, लेकिन बाद में बाकी झोपड़ियों को भी गिरा दिया गया।

मैंने पहले भी प्रशासन से अनुरोध किया था कि जब तक इन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान न मिल जाए, तब तक इन्हें थोड़ा समय दिया जाए। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने नहीं माना और बिना सूचना, नोटिस दिए मकानों पर बुलडोजर चला दिए।

दिवाली तक मांगा गया है समय

नगर निगम के महापौर संजय पांडेय ने कहा कि साल 2022 में कांग्रेस सरकार के दौरान भी इसी वार्ड में घर तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। तब भाजपाइयों ने आंदोलन कर प्रभावितों के नल और बिजली कनेक्शन बहाल करवाए थे।

महापौर ने कहा कि अभी उन्हें घर तोड़ने की जानकारी मिली तो डीआरएम से बात कर दिवाली तक का समय मांगा गया है।

जिसके बाद फिलहाल आगे के बचे मकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई रोक दी गई है। इन प्रभावितों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिले इसके लिए निगम प्रशासन की कोशिश जारी है।

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