नानकसागर गढफुलझर में नगर कीर्तन का आयोजन 9नवम्बर को

Chhattisgarh Crimes महासमुन्द ( शिखा)
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✴️हम चाकर गोविन्द के गतका टीम दुर्ग का होगा प्रदर्शन

, श्री गुरुनानक देव जी के विश्राम स्थल चमत्कारी ग्राम नानक सागर में आगामी 9 नवम्बर को नगर कीर्तन का आयोजन किया गया है।

इसके लिए गढ़फुलझर की सिक्ख संगत के साथ रायपुर से आकर गढ़फुलझर में सेवा करने वाले रिंकू ओबेरॉय तैयारियों में जुटे है।

गढ़फुलझर सिक्ख समाज के प्रधान हरजिंदर सिंह हरजु ने बताया कि 9 नवम्बर को सुबह श्री अखंड पाठ की समाप्ति के साथ कीर्तन समागम होगा।

कीर्तन के लिए भिलाई से भाई कमलजीत सिंह जत्था, टाटीबंध रायपुर से हजूरी रागी नितिनदीप सिंह जत्था,
टाटीबंध गुरुद्वारा के मुख्यग्रन्थि के साथ कीर्तन में भाई देविंदर सिंह भी शामिल रहेंगे

।श्री हरजु ने बताया कि कीर्तन समाप्ति के बाद गुरु का लंगर अटूट बरतेगा

।दोपहर 3 बजे नानक सागर स्थित गुरु के खेत से नगर कीर्तन प्रारम्भ होकर कोई डेढ़ किलोमीटर दूर गढ़फुलझर गुरुद्वारा तक जाएगा।
।✴️हम चक्र गोविंद के घटक टीम का होगा प्रदर्शन।।✴️

नगर कीर्तन के बीच रास्ते मे दुर्ग से आने वाले हम चाकर गोविंद के गतका टीम द्वारा लगातार प्रदर्शन किया जाएगा।

ज्ञात हो कि नानक सागर में सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देब जी के चरण पड़ने की पुश्टि होने के बाद से ही सिक्ख एवम बंजारा समाज के लोग लगातार इस स्थान के दर्शन कर अरदास करने आते है।

विगत चार वर्षों से यहां दर्शन के लिए आने वालों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है।

महासमुंद जिले के गढ़फुलझर के पास नानक सागर नामक स्थान पर एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा स्थित है, जहां गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान विश्राम किया था।

 

इसे अब आधिकारिक तौर पर नानक सागर साहिब गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है, जबकि गुरु नानक के रुकने के स्थान को ‘नानक डेरा’ कहते हैं।

यह स्थान सिक्ख धर्म के अनुयायियों और अन्य समुदायों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है।

 

इतिहास:
माना जाता है कि गुरु नानक देव जी जगन्नाथ पुरी की यात्रा के दौरान गढ़फुलझर में रुके थे। इस स्थान पर उनके आगमन के ऐतिहासिक प्रमाण भी मिले हैं, जिनमें लगभग 100 साल पुराने मिशल रिकॉर्ड शामिल हैं।

निर्माण:

गुरु नानक देव के आगमन की पुष्टि के बाद, इस स्थान को ‘नानक सागर’ नाम दिया गया और यहाँ ‘नानक सागर साहिब गुरुद्वारा’ का निर्माण किया गया है।

आस्था और महत्व:

यह स्थान सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और यहाँ होला-महल्ला और गुरु नानक जयंती जैसे पर्व मनाए जाते हैं।

अन्य समुदायों का जुड़ाव:

गुरु नानक देव जी के आगमन की पुष्टि के बाद बंजारा और रविदासिया समाज भी इस स्थान के प्रति आस्था रखते हैं।
भविष्य की योजनाएं: इस क्षेत्र को और विकसित करने के लिए यहां एक विशाल गुरुद्वारे के साथ लंगर हॉल, धर्मशाला, मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और स्कूल बनाने की भी योजना है।

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