छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की रायपुर सेंट्रल जेल में 4 दिसंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की रायपुर सेंट्रल जेल में 4 दिसंबर को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। फर्जी वन पट्टा बनाने के आरोप में कांकेर पुलिस ने उन्हें 12 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। लेकिन 2 दिसंबर को उन्हें रायपुर सेंट्रल शिफ्ट कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के जीवन ठाकुर को रायपुर जेल ले जाया गया जहां 2 दिन बाद उनकी मौत हो गई।

 

बताया जा रहा है रायपुर जेल में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मेकाहारा में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने सुबह 8 बजे दम तोड़ दिया। नाराज परिजनों ने मौत के 30 घंटे बाद भी अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया है। पीड़ित परिवार से मिलेंगे भूपेश बघेल

 

बता दें कि जीवन ठाकुर चारामा ब्लॉक के कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे है। इस घटना के बाद ग्राम मायना के आदिवासी समाज और उनके परिवारजनों में गहरा आक्रोश है। 5 दिसंबर यानि आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार वालों से मिलेंगे।

 

ज्ञापन सौंपकर की कार्रवाई की मांग

 

परिजनों ने जेल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही, जानकारी छिपाने और हत्या का आरोप लगाते हुए चारामा थाने में ज्ञापन सौंपा है।

 

परिवार का आरोप है कि उन्हें न तो स्थानांतरण की जानकारी दी गई, न ही उनकी तबीयत बिगड़ने की और न ही अस्पताल में भर्ती कराए जाने की सूचना दी गई। जबकि उन्हें कोई बिमारी नहीं थी। मौत की खबर भी वायरलेस संदेश से मिली। अस्पताल में भर्ती होने के 4 घंटे बाद गई जान

 

कांकेर सहायक जेल अधीक्षक रेणु ध्रुव मुताबिक, 4 दिसंबर की सुबह 4:20 बजे जीवन ठाकुर को डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर में भर्ती कराया गया था। सुबह 7:45 बजे उनकी मृत्यु हो गई। परिवार को उनकी मौत की सूचना शाम लगभग 5 बजे मिली, जिससे परिजनों में और अधिक रोष है।

 

परिजनों का सवाल है कि जब उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी, तो समय पर इलाज क्यों नहीं हुआ और यदि उन्हें रेफर किया गया था, तो इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई।

 

फर्जी वन पट्टा बनाने के मामले में हुए थे गिरफ्तार

 

बता दें कि जीवन ठाकुर पर फर्जी वन पट्टा बनाने का आरोप है। चारामा थाने में उनके खिलाफ अपराध क्रमांक 123/2025 के तहत धारा 420, 467, 468, 34 IPC तथा धारा 340, 318 (4) BNS 2023 ते तहत मामला दर्ज है। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाला था।

 

समाज ने की जांच की मांग

 

गोंडवाना समाज सामान्य समिति बस्तर संभाग के सुमेर सिंह नाग ने इस घटना को सामान्य मौत नहीं, बल्कि गंभीर लापरवाही और संभवतः हत्या का मामला बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि समाज और परिजन तीन दिनों से थाने और अस्पताल के चक्कर लगा रहे थे, लेकिन किसी ने उन्हें सही जानकारी नहीं दी।

 

वहीं, विधायक सावित्री मंडावी ने भी बिना सूचना के रायपुर स्थानांतरित करने के आदेश की जांच की मांग की है।

 

परिजनों और समाज ने ज्ञापन में पूरी घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराने, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने, मेडिकल रिकॉर्ड और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उपलब्ध कराने, परिवार की उपस्थिति में पोस्टमॉर्टम कराने और परिवार को क्षतिपूर्ति देने की मांग की है।

 

इसके अलावा उन्होंने शव को सुरक्षित रूप से उनके गृह ग्राम लाकर परिवार को सौंपने की भी मांग की है।

 

आदिवासी प्रमुखों ने दी आंदोलन की चेतावनी

 

आदिवासी प्रतिनिधि सुमेर सिंह नाग, कन्हैया उसेंडी, गौतम कुंजाम और तुषार ठाकुर ने कहा कि अगर इस मामले की सही जांच नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

 

सर्व आदिवासी समाज ने मांग की है कि गृह विभाग 7 दिनों के अंदर इस घटना की जांच के लिए एक विशेष समिति बनाए। ऐसा न होने पर वे जिला कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगे।

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