महंगे ब्रांड्स से बेहतर है देसी गोबर से बनी चप्पल!

 

Chhattisgarh Crimes

रायपुर। क्या आपने कभी गोबर से बनी चप्पलों के बारे में सुना है. शायद आपको सुनकर अजीब सा लगे क्योंकि आज तक ऐसा कोई उत्पाद नहीं बना था, लेकिन देसी गाय के गोबर से बनी चप्पलों का निर्माण हो चुका है. प्रदेश में तो इनका बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है. ये चप्पले खूबसूरत होने के साथ ट्रेंड कर रही हैं. इनकी खासियत यह भी है कि करीब आधे घंटे तक पानी में होने के बावजूद ये खराब नहीं होती हैं.

गोबर की चप्पल बनाने वाले कुछ निर्माता पशुपालक हैं. इस काम में उन लोगों की खास मदद ली जाती है जिनके घरों में पशुधन है. इस प्रोडक्शन में जुड़े लोगों का मानना है कि देश में बड़ी संख्या में गोवंश प्लास्टिक खाकर बीमार पड़ती हैं. इसके कारण उनमें से कई की मौत हो जाती है. ऐसे में हर व्यक्ति को कोशिश करके प्लास्टिक के उत्पादन को कम करने की कोशिश करनी चाहिए.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक इकोफ्रेंडली होने के साथ-साथ इन खास स्लीपर्स के बारे में कहा जा रहा है कि यह चप्पलें कोई साधारण चप्पल नहीं बल्कि इसे पहनने वाले व्यक्ति को यह चप्पल कई बीमारियों से बचाती है.

इन्हें बनाने वालों का कहना है कि लोगों में गोबर से बने उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ लोग उनके उत्पादों को पसंद भी कर रहे हैं. इन्हें पहनने से होने वाले फायदों को गिनाते हुए इनका निर्माण करने वालों ने इसकी कीमत की जानकारी भी साझा की है. ऐसी चप्पलों की एक जोड़ी चप्पल 300 से 400 रुपये तक है. अभी तक लगभग एक दर्जन चप्पल बिक चुकी है और 1000 का ऑर्डर मिल चुका है। रोजगार के साथ-साथ इनोवेशन के इस तरह की खबरों ने गोठान योजना को नई दिशा दी है।

राजधानी में गोबर से बनी चप्पल लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। गोकुल नगर निवासी रितेश अग्रवाल प्लास्टिक या रबर की जगह गोबर से चप्पल बनाने का काम कर रहे हैं। रितेश अग्रवाल ने बताया की राज्य सरकार ने गौठान बनाकर सड़को पर लावारिस घूमने वाले गौवंश को संरक्षित कर रही है। साथ ही अब वैदिक पद्धति से गोबर से चप्पल बनाकर वो गोठान के लक्ष्य को एक नया रूप दे रहे हैं।

गोहार गम, आयुर्वेदिक जड़ी-बुटियां, चूना और गोबर पाउडर को मिक्स करके चप्पल बनाई जा रहा है। पुरानी पद्धति से गोबर की चप्पल बना रहे हैं। गोबर के दीए हो या गोबर की ईंट या फिर भगवान की प्रतिमा इन सब काम से गौशाला में गौवंश के देखरेख के लिए 15 लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां महिलाएं 1 किलो गोबर से 10 चप्पलें बनाती हैं। गोबर से बनी चप्पल को घर, बाहर या ऑफिस कहीं भी पहनकर जाया जा सकता है। ये चप्पल 3 से 4 घंटे भीगने पर भी खराब नहीं होती है यदि कुछ भीग जाए तो धूप दिखाने के बाद वापस से पहनने लायक हो जाती है।

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