राज्यपाल ने पूछा-आरक्षण मामले में क्या कर रही सरकार

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रायपुर। वन, परिवहन, विधि मंत्री मोहम्मद अकबर और संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे मंगलवार को राजभवन पहुंचे। दोनों मंत्रियों ने राज्यपाल अनुसुईया उइके से मिलकर वहां अटके विधेयकों को अनुमति देने का आग्रह किया है। इस मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने मंत्रियों से पूछ लिया कि आदिवासी समाज का आरक्षण घटाने के उच्च न्यायालय के फैसले पर सरकार क्या कर रही है।

राजभवन के बाहर पत्रकारों से चर्चा में कृषि, जल संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, राज्यपाल से सौजन्य मुलाकात के लिए आए थे। पिछले समय में हमने कुछ वित्त विधेयक हैं जिन्हें राजभवन में भेजा है उसपर जल्दी अनुमति देने का आग्रह किया है। हम लोग चाहते हैं कि उसपर महामहिम की जल्दी अनुमति मिल जाए। इसमें बिजली शुल्क का विधेयक है, भू-जल प्रबंधन का विधेयक है, सहकारी समितियों का संशोधन विधेयक है, भू-राजस्व का विधेयक है और तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यकाल बढ़ाने संबंधी विधेयक है। इन सारे विधेयकों पर चर्चा हुई है। हम लोग उम्मीद करते हैं कि यह राज्य के हित में निर्वाचित सरकार द्वारा बनाया विधेयक है, इसलिए जल्दी ही इसमें गवर्नर की अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने भी सहानुभूति पूर्वक विचार कर शीघ्र निर्णय का आश्वासन दिया है।

सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जानकारी दी

मुलाकात के दौरान राज्यपाल ने आरक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही परिस्थितियों की जानकारी मांगी। विधि मंत्री मोहम्मद अकबर ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा, तमिलनाडु में 50% से अधिक आरक्षण हेडकाउंट पूरा नहीं होने की वजह से अटक गया था। यहां हेड़काउंट कर सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल किया जाएगा। मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट का आदेश प्रदेश का ज्वलंत मुद्दा है। राज्यपाल को सारी स्थितियों से अवगत कराया गया है।

दो साल से अटके हैं कई विधेयक

सरकार के कई विधेयक दो साल से अधिक समय से राज्यपाल के पास हैं। उनपर अभी तक अनुमति ही नहीं मिल पाई है। इसमें छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, कामधेनु विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक प्रमुख हैं।

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