निलंबित IPS जी पी सिंह ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका, CBI जाँच के साथ की अंतरिम राहत की माँग

Chhattisgarh Crimes

बिलासपुर। सीनियर IPS जीपी सिंह शुक्रवार को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। इस रिट पिटिशन में उन्होंने मांग की है कि उनके खिलाफ ACB और रायपुर सिटी कोतवाली में जो मामले दर्ज किए गए हैं, उसकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी जैसे CBI से कराई जाए।

पिटिशन में कहा गया है कि उन्हें सरकार के कुछ अधिकारियों ने ट्रैप कराया है। इसके साथ ही सिंह निचली अदालत में अपनी अग्रिम जमानत याचिका भी लगा रहे हैं। वे इन मामलों को लेकर हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी से लगातार संपर्क में हैं।

याचिका प्रमुख रूप से जीपी सिंह पर गुरुवार आधी रात रायपुर के सिटी कोतवाली थाने में धारा 124 और धारा 153 के तहत दर्ज किए गए राजद्रोह के अपराध के खिलाफ आधारित है। याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी और कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है। वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि, वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है, उसके पन्नें भीगे हुए थे और पुलिस ने उसे सूखाने के बाद उसमें जो अस्पष्ट शब्द लिखे हैं और उसके आधार पर मामला दर्ज कर लिया है।

याचिका में जीपी सिंह की ओर से कहा गया है कि उन्हें डायरी लिखने की आदत रही है। याचिका में तर्क दिया गया है कि किसी व्यक्ति की डायरी लिखने की आदत हो और वह किसी मामले में कुछ लिखता है। इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि वह उसमें शामिल हो। वह तो अपनी मन की बातें लिखता है। फिर उसके लिखे का पुलिस द्वेषवश कुछ और मतलब निकाल ले और अपराध दर्ज कर ले ये न्यायोचित नहीं है। डायरी में लिखी बातों को पुलिस प्रमाणित भी नहीं कर सकती।

याचिका में प्रमुखता से जो बात रखी गई है वह है सरकार में दखल रखने वाले कुछ नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर जीपी सिंह को इस पूरे ट्रैप में फंसाया। याचिका में हाईकोर्ट से सीबीआई जांच की मांग करते हुए सिंह ने कहा है कि यह पूरी कार्रवाई इसलिए हुई है कि उन्होंने कुछ अवैध कामों को करने से मना किया। उनके असहयोग करने के कारण कुछ अधिकारियों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए एसीबी, ईओडब्ल्यू का छापा पड़वाया। इसमें भी बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया। उन्हें पूरा यकीन है कि यदि उनकी जांच राज्य शासन की पुलिस या कोई एजेंसी करती है तो उनके साथ न्याय नहीं होगा इसलिए सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जो राज्य शासन के अधीन ना हो।

एफआईआर रद्द करने, मामला खत्म करने की बात नहीं

इस याचिका में जीपी सिंह ने अपने खिलाफ दर्ज मामले रद्द करने और एफआईआर रद्द करने जैसी कोई मांग नहीं की है। अमूमन ऐसी याचिकाओं का मुख्य बिंदु यही होता है कि एफआईआर गलत है या मामला झूठा है। जीपी सिंह इस पूरे मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं, जिससे सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने याचिका के माध्यम से एफआईआर का आधार, सबूत किसी दूसरी जांच एजेंसी को दिखाने की भी बात कही है।

निचली अदालत में लगेगी अग्रिम जमानत याचिका

एक ओर जीपी सिंह हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वे रायपुर की अदालत में अपनी अग्रिम याचिका की अर्जी भी लगा रहे हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जो धाराएं लगी हैं उनमें तो गिरफ्तारी का खतरा कम है, लेकिन राजद्रोह की धाराओं के तहत उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि जो धाराएं अभी तक लगाई गई हैं, उसमें एक भी धारा ऐसी नहीं है जिसकी सजा 7 साल से ऊपर की हो। अमूमन ऐसे मामलों में पुलिस गिरफ्तारी की हड़बड़ी नहीं दिखाती, लेकिन जीपी सिंह का मामला अलग है। सिंह को गिरफ्तारी का डर है, लिहाजा वे पहले ही अदालत पहुंच गए हैं।

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