विरोध करने वालों में सर्वाधिक महिलाएं, पर्यावरण के अफसरों ग्रामीणों की बात नहीं सुनने लगाया आरोप…
महासमुंद। करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड की मिनी स्टील प्लांट को लेकर पर्यावरण अफसरों के सामने हुई जनसुनवाई में प्लांट के समर्थन से ज्यादा ग्रामीणों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। वहीं प्लांट के पक्ष में बोलने के लिए बलौदाबाजार और आरंग से लोग पहुंचे थे। तो दूसरी ओर सैंकड़ों महिला और पुरुषों ने पर्यावरण और जिला प्रशासन पर ग्रामीणों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी करने लगे। गुस्साए ग्रामीणों ने प्लांट मेनेजमेंट के वाहन के सामने खड़े हो गए। ग्रामीणों का आक्रोश को देखते हुए मेनेजमेंट और स्टाफ दबे पांव दूसरे रास्ते से निकल गए।
कौंवाझर पंचायत के खैरझिटी गांव में करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड के स्टील प्लांट को लेकर गुरुवार को दो घंटे चली जनसुनवाई में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन नई दिल्ली के अफसरों के सामने ग्रामीणों ने प्लांट लगाने से किन किन परेशानियों का सामना करना होगा बारी बारी से अपना विरोध दर्ज कराया। बाद जनसुनवाई से निकले अफसरों पर ग्रामीण और किसानों ने पूरी बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी करने लगे।
इस दौरान गुस्साए ग्रामीणों ने स्कूल परिसर आने जाने वाली मार्ग को अवरूद्ध कर खड़े हो गए। जिससे स्टील प्लांट के मेनेजमेंट और स्टाफ को दबे पांव दूसरे रास्ते से निकलना पड़ा। स्टील प्लांट के विरोध में कौंवाझर, खैरझिटी, कुकराडीह, जोबा, भोरिंग, अछोला अछोली, पीढ़ी, मालिडीह, पिरदा, परसाडीह, तुमगांव, महासमुंद के अलावा अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा और जनप्रतिनिधियों ने भी स्टील प्लांट का जमकर विरोध किया। इस दौरान स्टील प्लांट के समर्थकों ने समर्थन पत्र और विरोधकर्ताओं ने भी लिखित विरोध पत्र अफसरों को सौंपा है। इस दौरान करणीकृपा पॉवर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से नवीन कुमार चौधरी और निर्णय चौधरी ने परियोजना प्रस्तावना और राज्य शासन के नियमानुसार पहले चरण में 5 सौ से अधिक लोगों को रोजगार दिया जाएगा। इनमें कुशल और अकुशल शामिल होने की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि, प्रदूषण नियंत्रण के लिए ईएसपी मशीन लगाएं जाएंगे। और उद्योग द्वारा सीएसआर फंड से स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, स्कूल का उन्नयन, एम्बुलेंस और प्रदूषण रहित रखने के लिए पौधरोपण भी किया जाएगा। जनसुनवाई में संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकार, पर्यावरण विभाग से मनीष कश्यप, एडीएम डॉ. नेहा कपूर, एडिशनल एसपी मेघा टेंभूरकर, एसडीएम बी. पी. जायसवाल, तहसीलदार प्रमु साहू सहित प्लांट के मेनेजमेंट मौजूद थे।
जनसुनवाई में अन्य जिले के लोगों से कराया गया स्टील प्लांट का समर्थन…
बड़ी पुरानी कहावत है कि, गलती छुपाएं नहीं छुपता। एक दिन सामने आ ही जाता है। ऐसा कुछ हुआ जनसुनवाई के दौरान। पर्यावरण अफसरों के सामने स्टील प्लांट मेनेजमेंट पोल खुल गई। जनसुनवाई के दौरा स्टील प्लांट की पैरवी करने दो लोग पहुंचे थे। इनमें एक बलौदाबाजार से और दूसरा आरंग विधानसभा के ग्राम अकोली का पता बता रहे थे। जिनका महासमुंद जिले से कोई लेनादेना नहीं था। ऐसे ही ना जाने कितने ही स्टील प्लांट के समर्थन में लोग बाहर से आये थे। यह कह पाना मुश्किल है। क्योंकि भीड़ इतनी थी कि, अपना समर्थन देने के बाद बहुत लोगों जनसुनवाई स्थल से नदारद हो गए। जिन्हें कौंवाझर एवं खैरझिटी तथा कुकराडीह के पंच सरपंच भी नहीं पहचानते थे। अब सवाल यह है कि, बाहर से आए अफसरों को कैसे पता होगा कि, कौन बाहर से है, या फिर स्थानीय ?
पिछले चार दिनों तक खुब चली बकरा और शराब…
जनसुनवाई से पहले स्टील प्लांट के लिए समर्थन जुटाने पिछले चार दिनों से कौंवाझर सहित अन्य कई गांव में खुब बकरा और शराब का दौर चला। कौंवाझर के पूर्व सरपंच लक्ष्मण यादव, विजय यादव, लक्ष्मीनारायण ध्रुव, कुंदन ध्रुव सहित पंच गणों ने बताया कि, स्टील प्लांट मेनेजमेंट के लोग शाम रात को गांव के चक्कर लगाते थे। और लोगों को चार दिनों से बकरा पार्टी उसके साथ शराब पीने के लिए पैसे दिए जा रहे थे। उन्होंने बताया कि, स्टील प्लांट का विरोध करने वाले अधिकांश बुजुर्ग महिलाएं है। और प्लांट का समर्थन करने वाले युवा वर्ग है।
लोगों ने क्या कहा जनसुनवाई में स्टील प्लांट के विरोध में…
कुकराडीह सरपंच जीवन लाल साहू ने पर्यावरण अफसरों के सामने कहा कि, ऐसे एक प्लांट में काम करते हुए प्रदूषण और डस्ट से गांव के 4 युवाओं की मौत हो चुकी है। पैसे कमाने के लिए जीवन से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। शहरों के अपेक्षा गांव के लोग लंबी उम्र तक जिन्दगी जीते हैं। क्योंकि गांव प्रदूषण मुक्त होता है। उन्होंने कहा कि, उनका पंचायत स्टील प्लांट के विरोध में प्रस्ताव दिया है।
उदयराम चंद्राकार ने कहा कि, पॉवर प्लांट में काम करते हुए प्लांट से निकलने वाली प्रदूषण और डस्ट आंख में चले जाने से उनका एक खराब हो चुका था। इलाज में 4 लाख रुपये खर्च किया गया था। लेकिन प्लांट वालों ने एक रुपये की मदद नहीं की। प्लांट लगाने से पहले बहुत से दावे किए जाते हैं, लेकिन एक बार प्लांट लगने के बाद वे किसी की भी नहीं सुनते।
पंच डिगेश्वरी चंद्राकार ने कहा कि, प्लांट मेनेजमेंट और गांव के सचिव से मिलीभगत कर फर्जी पंचायत प्रस्ताव बनाकर दे दिया गया। जबकि महिला पंच पहले से ही प्रदूषण और उससे निकलनी वाली डस्ट को लेकर स्टील प्लांट के खिलाफ है। गांव के जो भी व्यक्ति प्लांट को अपना समर्थन दे रहा है, ऐसे व्यक्ति गांव का विनाश चाहते हैं।
उप सरपंच तारेंद्र यादव ने बताया कि, सरपंच द्वारा फर्जी प्रस्ताव बनाकर दिया गया है। जिसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की गई है। गांव के अधिकांश लोग खेती किसानी को लेकर चिंतित है। स्टील प्लांट लगने की जानकारी जब से मुझे हुई है, तब से मुझ पर राजनीतिक दबाव बनाया जाता रहा। राजनीतिक दबाव में आकर मैं समर्थन कैसे कर सकता हूँ। मुझे और मेरे परिवार को तो इसी गांव में रहना है। आनेवाले समय में प्रदूषण की चपेट में आकर खेती किसानी चौपट हो गई तो कोई भी राजनीतिक दल मुझे या मेरे परिवार का भरणपोषण नहीं करेगा।