महासमुंद। जिले के कृषक पारम्परिक खेती को कम कर नए तरीके से साग-सब्जी की खेती करना शुरू कर दिए है। सरायपाली विकासखण्ड के ग्राम पाटसेन्द्री के कृषक श्री भरत पटेल का 1.98 हेक्टेयर रकबा बंजर था। उन्होने अपने बंजर भूमि पर 2 फीट मिट्टी भरवाकर खेती करने लायक बनवाया है। कृषक द्वारा उद्यानिकी विभाग की योजना से 0.40 हेक्टेयर मे शेडनेट हाउस एवं ड्रिप लगाया है। कृषक अपने रुचि अनुसार टमाटर और करेला लगाया है, जो कि अच्छी स्थिति में हैै। पहली तुड़ाई में करेला 12 क्विंटल लगभगा 42 हजार रूपए की बिक्री कर चुके है।
ड्रिप इरिगेशन स्थापन से मजदूर की समस्या भी कम हो रहे है। इसे वैज्ञानिक तरीके से देखे तो पौधे उर्वरक दो तरीके से लेते है, एक भूमि से दूसरा पानी के जरिए भूमि में खाद डालने से उसका पूर्ण हिस्सा उपयोग नहीं हो पाता और खाद अनुपयोगी हो जाता है। इसलिए ड्रिप के माध्यम से किसान रासायनिक खाद, दवा एवं पानी एक साथ पौधें को देतें है। इस विधि को फर्टिगेशन कहते है। अर्थात फर्टिलाइजर एवं इरिगेशन (सिंचाई) एक साथ होता है। इससे पौधों को उर्वरक एवं जल दोनों एक साथ प्राप्त होता है।
सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए नेट हाउस अच्छा विकल्प है। सब्जियों की खेती में लागत नियंत्रण मौसम पर निर्भर करता है। यदि किसान प्रतिकुल मौसम में सब्जियों का उत्पादन लेता है, तो उसे पौधों को बचाने के लिए अधिक कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता हैं। जिससे लागत बढ़ती है कीट व्याधि का प्रकोप भी शेडनेट हाउस मे कम होता है। जिससे लागत को कम करके अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है। इसी प्रकार ग्राम ईच्छापुर के कृषक श्री राम नायक ने फूलों की खेती की ओर ध्यान दिया और गुलाब की खेती पॉलीहाउस मे 0.40 हेक्टेयर में शुरू किया तथा खुद से ही खेती कर गुलाब से मुनाफा कमा रहे है। किन्तु उन्हें गुलाब की तोड़ाई के बाद कटाई, छटाई एवं देखरेख मे समस्या होने लगी तब उनके मांग अनुसार उद्यानिकी विभाग से वर्ष 2018-19 मे पैक हाउस दिया गया। जिससे उनकी भंडारण की समस्या दूर हुई है। वर्तमान में वह प्रतिदिन 55-60 बंच की भंडारण कर रहे है तथा उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है।