धमतरी। सैनिक कभी सेवानिवृत नहीं होते। 18 वर्ष की सेवा कर भारतीय सेना से सेवानिवृत होने के बाद हितेंद्र कुमार साहू ने इस सूत्र वाक्य को अपना ध्येय बना लिया। पांच वर्ष पूर्व वे गांव लौटे और वहां युवाओं को कड़ा प्रशिक्षण देकर सैन्य बलों के लिए तैयार करने का अभियान चला दिया। इन वर्षों में उन्होंने 50 से अधिक युवाओं को भारतीय सेना के साथ पुलिस और अर्धसैनिक बल का जवान बना दिया। प्रदेशभर के सैकड़ों युवक-युवतियों को वे प्रशिक्षण दे रहे हैं।
ग्राम थूहा-भाठागांव निवासी रिटायर्ड सैनिक हितेन्द्र कुमार साहू ने 18 साल सैनिक बनकर भारतीय सेना को दिया। उन्हें विदेश में भी सेवा देने का अवसर मिला। पांच साल पहले वह सेना से रिटायर्ड होकर गांव लौटे तो उन्होंने ठान लिया कि वे अपने जैसे कई सैनिक तैयार करेंगे।
इसके लिए उन्होंने अपनी स्वयं का ट्रेनिंग सेंटर खोल दिया। युवक-युवतियों को प्रोत्साहित कर कड़ी ट्रेनिंग देने लगे। इन पांच सालों में ही उनके अकादमी से 50 से अधिक सैनिक, पुलिस समेत अन्य क्षेत्रों में नौकरी ज्वाइन कर देश सेवा के लिए चयनित हुए।
सब इंस्पेक्टर के लिए हाल ही में 11 युवा चयनित हुए हैं। वहीं कोई थल सेना में है, तो कोई पुलिस, कस्टम हवलदार समेत एसएससी परीक्षा पास कर कई अन्य पदों पर काम कर रहा है। मैकेनिकल ट्रेड से रिटायर्ड इंजीनियर सैनिक हितेन्द्र कुमार का कठोर श्रम सेना के लिए जवान तैयार करने तक सीमित नहीं रहा।
रिटायरमेंट के बाद भी देश सेवा कर रहा ये जवान, युवाओं को फौज में भर्ती होने की दे रहे ट्रेनिंग, अब तक 50 हुए चयनित
सैनिक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते इस आदर्श वाक्य को अपने जीवन का ध्येय बनाने वाले रिटायर्ड सैनिक हितेंद्र कुमार साहू ने सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी देश सेवा का अपना संकल्प नहीं छोड़ा। पिछले पांच वर्षों में उनके प्रशिक्षण केंद्र से 50 से अधिक युवाओं ने भारतीय सेना, पुलिस, और अर्धसैनिक बलों में भर्ती होकर देश सेवा का मार्ग चुना है।
वे कम्प्यूटर सहित विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी प्रशिक्षण देते हैं। यही कारण है कि उनसे प्रशिक्षण लेकर आज कई लोग अलग-अलग शासकीय व अशासकीय क्षेत्रों में रोजगार पा रहे हैं।
देश-विदेश में दी सेवा
सेवानिवृत सैनिक हितेन्द्र कुमार साहू ने बताया कि सेना में रहकर उन्होंने जम्मू कश्मीर, ग्लेशियर, मणिपुर-नागालैंड, राजस्थान-पंजाब में अपनी सेवा दी है। दक्षिण अफ्रीका में वे नौ माह तक कार्यरत रहे। वह डबल एमएम, एम लीब, डी फार्मेसी की पढ़ाई की है। सेना में रहते हुए उन्होंने पर्वतारोही का कोर्स भी किया। उनकी पत्नी शिक्षिका हैं। भाई हेमचंद साहू भी सेना में हैं। भाई कोमल साहू शिक्षक और एक भाई छनेन्द्र कुमार किसान है।