देशभर के साइबर ठगों ने राजधानी रायपुर को ठगी का पैसा खपाने का अड्डा बना लिया है। केवल एक साल में 5 हजार खाते खोलकर ठग गैंग ने 18 सौ करोड़ का लेन-देन किया है। साइबर सेल की जांच में भांडा फूटने के बाद पुलिस ने 2 हजार म्यूल अकाउंट बंद करवाए। ऐसे तीन हजार खातों की तलाश की जा रही है। कई छोटे बैंक भी जांच के घेरे में हैं।
केवल रायपुर में इतने म्यूल अकाउंट मिलने के बाद पुलिस और साइबर विंग ने तहकीकात शुरू की तो पता चला यहां ऐसे खाते खोलने वाला संगठित रैकेट काम कर रहा है। गिरोह के सदस्य पैसों का लालच देकर लोगों के दस्तावेज लेकर उनका खाता खोल रहे हैं।
किसी को एक मुश्त तो किसी को 10-12 हजार कमीशन हर माह दिया जा रहा है। चौंकाने वाली बात है कि स्कूल-कॉलेज के छात्र भी 50 हजार से एक लाख रुपए लेकर बैंक खाता खोलकर ठग गैंग को सौंप रहे हैं। पुलिस ने ऐसे खातों की पहचान कर बंद करवाना शुरू कर दिया है।
रायपुर के अलावा अन्य राज्यों के 3500 से ज्यादा अकाउंट बंद कराए गए हैं। हैरानी की बात है कि ज्यादातर खाते अधूरे दस्तावेजों के साथ ही खो दिए गए हैं। इसी वजह से बैंक भी जांच के घेरे में हैं।
11000 से ज्यादा मोबाइल सिम से ठगी का खुलासा
पिछले एक साल में 11000 से ज्यादा ऐसे सिम का पता चला है जिससे राज्य के अलग-अलग इलाकों में ऑनलाइन ठगी की गई है। ये आंकड़ा भी अकेले रायपुर रेंज का है। राज्य के अन्य शहरों में बंद कराए गए सिम की संख्या अलग है। नया बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए भी लोग सिम खरीद रहे हैं। इन्हीं नंबरों का नेट बैंकिंग में उपयोग किया जा रहा है।
सिम लेने दस्तावेज दिए तो उसी से खुलवा लिया खाता
गुढियारी के सब्जी कारोबारी राजेंद्र भारती ने मोबाइल का सिम खरीदने के लिए परिचित को अपना आधार और अन्य दस्तावेज दिए थे। उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके नाम से कब बैंक में अकाउंट खोलकर सिम भी खरीद लिया गया। फिर उनके खातों से करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन होने लगा। पुलिस कारोबारी के घर पहुंची तब उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला।
20-20 अकाउंट की जांच के बाद पकड़े जा रहे ठग
एक ट्रांजेक्शन की जांच करने बैंकों से 20-20 खातों की जानकारी लेनी पड़ रही है। अलग-अलग खातों में पैसा जमा करने के बाद उन पैसों को मल्टीपल खातों में ट्रांजेक्शन करते हैं या पैसा जमा करते हैं। ताकि पुलिस आसानी से उन्हें ट्रेस न कर सके। रायपुर में अब तक 120 से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया है।