गरियाबंद जिले के देवभोग क्षेत्र में 40 गांवों के ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं। जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने यहां के पानी की जांच की है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि 90 पेयजल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा निर्धारित मानक से ज्यादा है।
इन गांवों में डेंटल और स्केलटल फ्लोरोसिस के 100 से अधिक मरीज मिले हैं। प्रभावित लोगों के दांत पीले पड़ गए हैं और हड्डियां टेढ़ी हो गई हैं। वहीं किडनी रोगियों के गांव कहे जाने वाले सुपेबेड़ा में भी जांच की गई जहां फ्लोराइड की मात्रा कम पाई गई है।
पानी में फ्लोराइड की पुष्टि 4 साल पहले ही हो गई थी। इसी समस्या को देखते हुए 40 स्कूलों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण स्कूली बच्चे और ग्रामीण इनका उपयोग नहीं कर रहे हैं। सफेद शर्ट में नांगलदेही निवासी मधु यादव 8 साल से इनके पैर की हड्डी टेढ़ी हो गई है। उनके घर के पानी का भी सैंपल लिया गया।
देवभोग क्षेत्र में पिछले 1 साल में 94 गांवों के 175 जल नमूनों की जांच की गई। इनमें नांगलदेही, सीतलीजोर, खुटगांव, करचिया, चिचिया और मूड़ागांव समेत 17 गांवों के 51 जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा सबसे अधिक है।
5 नए फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगेंगे
कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने बाड़ीगांव, नांगलदेही, झाखरपारा, कारचिया और कैटपदर गांव में 5 नए रिमूवल प्लांट की मंजूरी दी है। साथ ही स्वास्थ्य और पीएचई विभाग को जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। मॉनिटरिंग के लिए एक कर्मी नियुक्ति किया गया है।
वहीं स्कूलों में लगे प्लांट भी अपडेट होंगे। जल शक्ति मंत्रालय की टीम 22 मार्च को अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन के साथ साझा करेगी। क्षेत्रीय निर्देशक डॉ. प्रबीर कुमार नायक के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक मुकेश आनंद और प्रमोद साहू की टीम लगातार जल नमूनों की जांच कर रही है। बैठक में गांवों की स्थिति और समाधान पर चर्चा की जाएगी।
हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद 41 रिमूवल प्लांट को शुरू
साल 2024 जुलाई माह में हाईकोर्ट ने फ्लोराइड मामले में संज्ञान लिया जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और पीएचई विभाग ने तुरंत बंद पड़े 41 रिमूवल प्लांट को शुरू कराया। जिले भर में 300 से ज्यादा सोर्स की जांच की गई। जिले में देवभोग ब्लॉक के अलावा मैनपुर और गरियाबंद ब्लॉक के 50 से ज्यादा गांव के पेय जल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है।
सुपेबेड़ा के पानी में नहीं है फ्लोराइड किडनी रोगियों के गांव कहे जाने वाले सुपेबेड़ा को लेकर जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि वे 4 स्टेप में यहां के सभी स्रोतों की जांच किए हैं लेकिन यहां के सोर्स में फ्लोराइड की अनुपातिक मात्रा पाई गई है।
6 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए
स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे में साल 2015 में दांत पीले होने वाले 1500 से ज्यादा स्कूली बच्चों का खुलासा हुआ था। जिसके बाद ग्राउंड वाटर सोर्स की जांच में फ्लोराइड की मौजूदगी का पता चला था। प्रशासन ने प्रभावित 40 स्कूलों में 6 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए थे। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने इनका उपयोग नहीं किया।