Bharatmala Project से 4 गांव के लोगों को हो गया बड़ा नुकसान, दी आंदोलन की चेतावनी

Chhattisgarh CrimesBhilai: भारतमाला परियोजना की निर्माणाधीन सड़क के कारण 4 गांवों के 2500 हेक्टेयर की खेती खतरे में पड़ सकता है। किसानों के आंदोलन के बाद प्रशासन ने इसके बचाव का रास्ता निकालने का भरोसा दिलाया था। बकायदा इसके लिए संबंधित सभी विभागों के अफसरों ने मौका मुआयना भी किया था, लेकिन एक साल बाद भी प्रशासन कोई भी रास्ता नहीं निकाल पाया है। इससे आशंकित ग्रामीण एक बार फिर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।Bharatmala Project: फसल हो रही प्रभावित
आंदोलन को लेकर प्रशासन को अल्टीमेंट भी दिया जा चुका है। किसानों का कहना है कि जमीन से सड़क की ऊंचाई के कारण कृषि सीजन में शिवनाथ के पानी के बहाव में बाधा की स्थिति बनेगी। इससे डूबान से 2500 हेक्टेयर से ज्यादा की फसल प्रभावित होगी। वहीं कम ऊंचाई के अंडरपास के कारण किसानों को आवागमन के साथ कृषि यंत्रों की आवाजाही में परेशानी होगी।गौरतलब है कि भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग से नया रायपुर के बीच सड़क का निर्माण किया जा रहा है। यह सड़क थनौद, बिरेझर, अंजोरा और चंगोरी से होकर गुजर रही है। उक्त गांवों में सड़क का निर्माण शुरू कर दिया गया है। किसानों का कहना है कि सभी गांव के खेती का बड़ा रकबा शिवनाथ नदी के तट पर है।इन गांवों के समीप बनाई योजना की सड़क
सामान्य स्थिति में भी शिवनाथ में बाढ़ के कारण यहां के किसानों को फसल क्षति का सामना करना पड़ता है। इधर इन गांवों के समीप से भारतमाला परियोजना की सड़क बनाई जा रही है। सड़क जमीन से काफी ऊपर मिट्टी और मुरूम डालकर बनाई जा रही है। शिवनाथ नदी के तट तक ऊंचाई में सड़क बनाए जाने से इससे शिवनाथ का बहाव प्रभावित होगा और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। इससे तीनों गांवों के 2500 हेक्टेयर से ज्यादा खेती का क्षेत्र डुबान में तब्दील हो जाएगा। इससे फसल खराब होने का खतरा रहेगा।
निरीक्षण कर भूल गए अफसर
किसानों की मानें तो पूर्व में 12 फरवरी 2024 को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मामले की जानकारी दी गई थी। इसके बाद 18 अप्रैल 2024 को तत्कालीन एसडीएम की अगुवाई में राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी व ठेकेदार की उपस्थिति में स्थल निरीक्षण किया गया था। तब अफसरों ने मांग को सही करार देते हुए उस पर पुनर्विचार व सर्वे करवाने के निर्देश राजमार्ग के अधिकारियों को दिए थे। लेकिन इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
कॉलम सिस्टम से बनाए सड़क
किसानों ने इससे बचाव के लिए विकल्प भी सुझाया है। किसानों का कहना है कि बाढ़ व खेती को नुकसान जैसी स्थिति से बचाव के लिए शिवनाथ के 500 मीटर पहले से सड़क मुुरुम अथवा मिट्टी के बजाए सीमेंट-रॉड व गिट्टी आधारित कॉलम पद्यति से तैयार ऊंचाई पर बनाया जाना चाहिए। इससे कॉलम के बीच से पानी निकलने का रास्ता बन जाएगा और बाढ़ का खतरा कम हो जाएगा।
छह मीटर हो अंडरपास की ऊंचाई
प्रभावित ग्राम थनौद मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है, यहां हर साल हजारों की संया में मूर्तियां बनाई जाती है, जिनकी ऊंचाई 25 से 25 फीट तक होती है। ग्राम के मांग का अंडरपास की ऊंचाई महज 4 मीटर रखा गया है। ऐसे में यहां से कृषि उपकरणों व वाहनों के साथ मूर्तियां वाली गाडिय़ां का गुजरना संभव नहीं होगा। अंडर पास की ऊंचाई कम से कम 6 मीटर किया जाना चाहिए।
अंडरपास से नहीं जाएंगे कृषि उपकरण
किसानों ने बताया कि थनौद बायपास मार्ग पर विपश्यना साधना केंद्र के पास अंडरपास बनाया जा रहा है। यह मार्ग खेतों में जाता है। इस अंडरपास की ऊंचाई महज 4 मीटर ही रखी गई है। किसानों का कहना है कि यह बेहद कम है। इसके नीचे से कृषि उपकरण, हार्वेस्टर व धान परिवहन के लिए ट्रेक्टर गुजर नहीं पाएंगे। इसके अलावा धान ख्ररीदी केंद्र भी इसी मार्ग पर है। किसानों का कहना है कि अंडरपास की ऊंचाई कम से कम 6 मीटर होना चाहिए।