फॉरेंसिक एक्सपर्ट का दावा, एनएच 63 पर 10 साल पहले ही प्लॉट कर दी थी आईईडी

Chhattisgarh Crimesबीजापुर जिले के भोपालपट्टनम मार्ग रविवार शाम हुए आईईडी ब्लास्ट में 15 जवान बाल-बाल बच गए थे। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि नेशनल हाईवे की डबल लेयर सडक़ पर 6 फीट का गहरा गड्ढा हो गया। इस विस्फोट के बाद हुई फोरेसिंक एक्सपर्ट ने दावा किया है कि आईईडी करीब 10 साल पहले प्लांट की गई थी। दरअसल 2014 में इस सडक़ का काम शुरू हुआ था जो कि 2021 तक जारी रहा। बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने सडक़ निर्माण के शुरुआती दौर में ही आईईडी प्लांट कर दी थी, जिसका अब 10 साल के बाद नक्सलियों ने उपयोग किया है।इस विस्फोट से जवान तो बच गए लेकिन ब्लास्ट की वजह से पूरे इलाके में दहशत है। जगदलपुर से भोपालपट्टनम तक की सडक़ सेफ मानी जाती है। लंबे वक्त के बाद नक्सलियों ने एनएच पर ब्लास्ट कर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। दरअसल इस वक्त नक्सली आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं इसलिए वे सालों पहले दबाई गई आईईडी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
एक दिन पहले यहीं से गुजरकर गृहमंत्री ने ललकारा था
राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने विस्फोट से एक दिन पहले इसी सडक़ का उपयोग किया था। वे दंतेवाड़ा से बीजापुर इसी सडक़ से पहुंचे थे। उन्होंने बीजापुर में जवानों से कहा था कि आपके पराक्रम की वजह से मैं सडक़ मार्ग से सुरक्षित यहां पहुंच पाया। गृहमंत्री ने यह भी कहा था कि वे राज्य के पहले गृहमंत्री हैं जो सडक़ मार्ग से बीजापुर आए हैं। उनके इस बयान के अगले ही दिन नक्सलियों ने ब्लास्ट कर इस सडक़ पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई है। इसके बाद एनएच 63 से लोगों की आवाजाही कम हुई है। लोग सुकमा के रास्ते अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं।
नक्सलियों ने सेफ जोन में फैलाई दशहत
बीजापुर जिले में सबसे सेफ जोन कहे जाने वाले भोपालपट्टनम इलाके में पांच साल से नक्सली घटनाएं काफी कम हुई हैं। 24 घंटे तेलंगाना और महाराष्ट्र की ओर गाडिय़ां दौड़ रही हैं। हाईवे निर्माण के वक्त लगभग 40 किलो का आईईडी प्लांट कर नक्सली रखे हुए थे। सडक़ पर एक पत्थर लगाकर मार्किंग भी की थी ताकि जगह याद रहे।
फोर्स के पास नक्सल मूवमेंट का इनपुट था
बताया जा रहा है कि मद्देड़ एरिया कमेटी ने इस घटना को अंजाम दिया है। नक्सली मूमेंट का इनपुट पुलिस के पास था, लेकिन नेशनल हाइवे पर ऐसी घटना होगी यह अंदाजा नहीं था। कुछ दिन पहले रोड किनारे मिट्टी डालकर चौड़ा किया गया था और एक तरफ नागर चलाकर गड्डे की लाइन भी खींची गई थी ताकि आईईडी का कोई वायर हो तो कट जाए।