खास रहा विधानसभा का बजट सत्र

Chhattisgarh CrimesRaipur: विधानसभा का बजट सत्र कई मायने में खास रहा है। पहली बार के कई विधायकों ने सदन में खास उपस्तिथि दर्ज की। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ विधायकों ने भी अपने-अपने पक्ष का मोर्चा प्रमुखता से संभालकर रखा था। विधानसभा के बजट सत्र में आसंदी की तरफ कई हिदायतें और निर्देश भी मिले, जो आगे चलकर उपयोगी साबित हो सकते हैं। इस बार के बजट सत्र में आसंदी की तरफ से कई पहल होती भी दिखाई दी। ठीक इससे परे कई मुद्दे पर सत्ता पक्ष के विधायक ही विपक्ष की भूमिका की तरह नजर आए। सत्ता विपक्ष के बीच तीखी तकरार भी देखने को मिली। विपक्ष ने बहिर्गमन को बड़े हथियार के रूप में उपयोग किया।विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की पहल पर इस बजट सत्र में दो प्रमुख पहल हुई है। पहला पेयजल संकट से निपटने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक होगी और दूसरी जैव विविधता को लेकर विधायकों की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला होगी। इसके अलावा विकलांगजन के पदों की प्रक्रिया के लिए भी आसंदी से बड़ा निर्देश आया। यह प्रक्रिया 9 साल से चल रही है। अब मुख्य सचिव 6 महीने में इसका निराकरण करेंगे। विधानसभा सचिवालय को दिवंगत पूर्व सदस्यों की सूचना देरी से मिलने पर भी विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
रेणुका व अमर ने नहीं पूछा सवाल
प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद अब तक चार विधानसभा के सत्र हो चुके हैं। इसमें दो विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक एक भी सवाल नहीं पूछे हैं। ये दोनों भाजपा के विधायक हैं। इसमें पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल शामिल हैं। वहीं इस बार डोमनलाल कोर्सेवाड़ा और विक्रम उसेंडी ने बजट सत्र में सवाल किए। जबकि बीते तीन सत्र में दोनों विधायकों ने एक भी प्रश्न नहीं लगाया था। इसके अलावा कुल 15 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने सदन में 64-64 सवाल लगाएं। यह सवाल लगाने की अधिकतम सीमा थी।
दो बार प्रश्नकाल हुआ बाधित
इस बजट सत्र में दो बार प्रश्नकाल बाधित हुआ। इसमें विपक्ष के सदस्यों ने पूरे दिन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। विपक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के यहां ईडी की छापेमारी के दिन और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की रैकी को लेकर प्रश्नकाल में ही हंगामा किया था। दोनों मामले में विपक्ष के मौजूद सभी विधायक निलंबित हो गए थे।
एक प्रश्न तीन बार आया
विधानसभा में बजट सत्र के दौरान एक प्रश्न तीन बार आया। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारत माला परियोजना के मुआवजा वितरण में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था। पहली बार शासन की तरफ से जानकारी एकत्र करने का जवाब आया। इसे विधानसभा अध्यक्ष राजस्व विभाग के प्रश्नकाल में लेने की व्यवस्था दी। दूसरी बार भी जवाब नहीं आया तो तीसरी बार मौका दिया गया। जिस दिन विधानसभा में सवाल-जवाब हुआ, उसी रात कैबिनेट ने मामले में ईओडब्ल्यू से जांच करने का फैसला लिया।
बजट सत्र पर एक नजर
17- कुल बैठकें
111-घंटे की कुल चर्चा
133-प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे गए
562- ध्यानाकर्षण की सूचनाएं मिली
99- स्थगन प्रस्ताव लाए गए
14- विधेयक पारित हुए