गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के प्राइवेट स्कूल के टीचरों को सरकारी पुस्तक लेने के लिए 130 किलोमीटर का सफर तय कर बिलासपुर आना पड़ा

Chhattisgarh Crimesगौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के प्राइवेट स्कूल के टीचरों को सरकारी पुस्तक लेने के लिए 130 किलोमीटर का सफर तय कर बिलासपुर आना पड़ा। यहां पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो में उन्हें एक-एक किताब को स्कैनिंग के बाद दिया गया, जिसके चलते उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।

1 जुलाई को सुबह से पहुंचे शिक्षक दोपहर तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे। जब सब्र टूट गया, तब शिक्षकों ने डिपो में जमकर हंगामा मचाया। कुछ समय बाद काम शुरू हुआ तो सर्वर की समस्या आने लगी। प्रभावित टीचरों ने डिपो प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप भी लगाया।

स्कैनिंग के बाद दी जा रही थी पुस्तकें

दरअसल, गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के शिक्षकों को डिपो में सरकारी किताब लेने के लिए बुलाया गया था। गोदाम में सुबह 8 बजे से ही 100 से अधिक शिक्षक पहुंच गए थे। एक स्कूल से केवल दो शिक्षक ही पहुंचे थे। यहां आने के बाद पता चला कि किताब ले जाने से पहले उन्हें सभी की स्कैनिंग करनी पड़ेगी।

काम शुरू हुआ पर सर्वर डाउन था। इसके कारण काफी समय लग रहा था। शिक्षकों का कहना था कि वे करीब 130 किलोमीटर दूर से आए हैं। सुबह 8 बजे उन्हें बुलाया गया था। वहां आने के बाद ही पता चला कि स्कैनिंग के बाद पुस्तकें मिलेंगी। केवल दो शिक्षकों के ​लिए यह काम मुश्किल था।

किताबें उपलब्ध कराने में लापरवाही का आरोप

एक स्कूल को करीब 2-2 हजार पुस्तकें बांटनी थीं। स्कैनिंग करने में ही सभी को 7-8 घंटे लग रहे थे। वहीं, सर्वर में अलग गड़बड़ी थी। इसके चलते शिक्षक परेशान होते रहे। आखिरकार, शिक्षक नाराज हो गए और हंगामा मचाने लगे। समझाइश देने के बाद डिपो से ​पुस्तक ले जाने का क्रम रात तक जारी रहा।

शिक्षकों ने डिपो प्रबंधन पर भी किताबें उपलब्ध कराने में लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना था कि डिपो में किताबें तो हैं, लेकिन वे शिक्षकों को नहीं दी जा रही हैं। इधर सरकारी स्कूलों के लिए अलग नियम है।

उनकी किताबें सीधे संकुल केंद्र में पहुंच रही हैं। यहां से स्कूलों में भेजी जा रही है। स्कैनिंग के बाद बच्चों को बांटी जा रही है। यहां भी सर्वर ठीक नहीं होने के कारण बांटने में देर हो रही है।