बिलासपुर में तंवर सतगढ़ समाज के पदाधिकारियों ने अपने ही समाज के DSP के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आरोप है कि, उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रभाव का इस्तेमाल कर समाज के अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया है। सामाजिक बैठक कोरबा में हुई है और बिलासपुर में FIR दर्ज की गई है।
समाज के लोगों ने उन्हें बहिष्कृत करने के आरोप को भी गलत बताया है। बता दें कि DSP ने अंतरजातीय विवाह करने पर समाज के अध्यक्ष समेत पदाधिकारियों पर रिश्तेदारों को बहिष्कृत करने और धमकी देने का आरोप लगाया है।
दरअसल, मूलत: ग्राम नुनेरा निवासी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह पुलिस विभाग में DSP के पद पर पदस्थ हैं। वो सकरी आसमा सिटी में रहते हैं। परिवार के सदस्य गृह ग्राम में रहते हैं। जिसमें भाई-बहन शामिल हैं। आरोप है कि उन्होंने सरगुजा जिले की युवती से अंतरजातीय विवाह किया है।
अंतरजातीय विवाह करने पर समाज ने किया बहिष्कृत
DSP मेखलेन्द्र प्रताप सिंह वर्तमान में सरगुजा संभाग में पदस्थ हैं। उन पर इंटरकास्ट मैरिज करने का आरोप है। शादी के बाद सतगढ़ तंवर समाज के अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों ने बैठक बुलाई। जिसके बाद उनके और परिवार का बहिष्कार कर दिया।
बताया गया कि सतगढ़ तंवर समाज ने दंड विधान और नियमावली बनाई है, जिसके पृष्ठ क्रमांक 5 दंड विधान प्रारूप-1 में सामाजिक अपराध खंड (व) उपखंड 2 में इंटरकास्ट मैरिज को आपराधिक कृत्य बताया गया है। बैठक में तय किया गया कि डॉ. सिंह ने सामाजिक नियमों के विरुद्ध अंतरजातीय विवाह कर अपने आप को सतगढ़ तंवर समाज से अलग कर चुके हैं।
इस आधार पर केन्द्रीय और शाखा कार्यकारिणी की मौजूदगी में प्रस्ताव पारित कर उन्हें समाज से अलग मानने और भविष्य में किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में सम्मिलित न करने का निर्णय लिया गया।
अब समाज के पदाधिकारी बोले- नहीं किया है बहिष्कार
इस मामले में DSP ने अपने परिवार के सदस्यों को समाज से बहिष्कार करने और गाली-गलौज कर धमकी देने का आरोप लगाते हुए कोटा थाने में केस दर्ज कराया है। जिस पर पुलिस ने समाज के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया है।
इधर, एफआईआर होने के बाद समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने DSP और उसके परिवार के सदस्यों का बहिष्कार नहीं किया है। केवल, सामाजिक बैठक हुई है, जिसमें उन्हें नोटिस जारी किया गया है।
पदाधिकारी बोले- पद का किया दुरुपयोग
समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि DSP मेखलेंद्र सिंह ने अपने पद का गलत उपयोग किया है। झूठे आरोप लगाकर समाज के बुजुर्ग अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए एफआईआर कराया है। उनका कहना है कि न तो उन्होंने उनके परिवार के किसी सदस्य को धमकी दी है और न ही कोई विवाद किया है।
कोरबा में बैठक और बिलासपुर में एफआईआर
समाज के लोगों ने इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने बताया कि समाज की बैठक कोरबा में हुई थी, जिसमें समाज के नई कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण और समाज के विकास की रूपरेखा तैयार करने को लेकर रणनीति बनाई गई। इस बैठक में DSP और उसके परिवार के सदस्यों को बहिष्कृत करने का निर्णय नहीं लिया गया है। न ही किसी तरह से अपशब्द गए हैं।
इसके बाद भी पुलिस ने कोरबा में हुई इस बैठक के दो माह बाद बिलासपुर जिले में एफआईआर दर्ज की है। इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए समाज के लोगों ने एसपी और आईजी से शिकायत की है।