रायपुर में एक कारोबारी साइबर फ्रॉड का शिकार हो गया

Chhattisgarh Crimesरायपुर में एक कारोबारी साइबर फ्रॉड का शिकार हो गया है। ठगों ने उसे वॉट्सऐप पर APK फाइल भेजा, जिसे डाउनलोड करते ही कारोबारी का मोबाइल हैक हो गया। फिर ठगों ने 38 ट्रांजैक्शन में बैंक अकाउंट खाली कर दिया। कारोबारी के करीब 12 लाख से ज्यादा रुपए ठगों ने पार कर दिए हैं। मामला राखी थाना क्षेत्र का है।

पीड़ित महेश कुमार साहू ने बताया कि उसकी ट्रैक्टर रिपेयरिंग की वर्कशॉप है। 17 जुलाई को टैफे स्पेयर रिपेयर (TAFE SPARE REPAIRE) नाम के वॉट्सऐप ग्रुप में PM किसान योजना से जुड़ी एक APK फाइल भेजी गई।

फाइल डाउनलोड करते ही कुछ देर बाद महेश के मोबाइल की बैटरी गर्म होनी होने लगी और फोन बार-बार हैंग करने लगा। इससे महेश को शक हुआ कि उसका फोन हैक हो गया है।

2 दिन बाद मोबाइल नंबर हुआ बंद

19 जुलाई को महेश किसी से फोन पर बात कर रहा था, तभी उसका फोन अचानक बंद हो गया। इसके बाद जब कोई उसके मोबाइल नंबर अपने फोन कर रहे थे तो वो डायवर्ट होकर पुणे, महाराष्ट्र के किसी व्यक्ति के पास जाने लगा।

महेश ने तुरंत जिओ कंपनी के ऑफिस जाकर सिम बंद होने की शिकायत की। जब उसने नया सिम लेने के लिए बायोमेट्रिक और फोटो दिया, तो वह मैच नहीं हुआ। इसके बाद उसे आधार कार्ड अपडेट कराने के लिए कहा गया। इसी बीच महेश को पता चला कि उसके बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन हुए हैं।

38 ट्रांजैक्शन में 12 लाख निकाले

ठग ने APK फाइल की आड़ में मालवेयर या वायरस भेजकर महेश का मोबाइल हैक कर लिया। फिर मोबाइल नंबर से ओटीपी मंगवा कर करीब 38 ट्रांजैक्शन में 12 लाख 3 हजार रुपए पार कर दिए।

ठग ने पीड़ित के बैंक ऑफ बड़ोदा महाराष्ट्र के अकाउंट से रकम निकालकर अलग-अलग बैंक और खातों में ट्रांसफर किया। जिसमें 1 रुपए, 79999 रुपए, 19999 रुपए, 86931 रुपए, 49500 रुपए, 20 हजार और 30 हजार रुपए जैसे कई अन्य ट्रांजैक्शन शामिल हैं।

खाते से रुपए पार होने के बाद महेश को ठगी का एहसास हुआ। उसने राखी थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाई। फिलहाल, इस मामले में राखी थाना प्रभारी आशीष राजपूत ने कहा कि मामले में FIR दर्ज कर ली गई है। साइबर की मदद से पुलिस मामले में जांच कर रही है। इसमें जिन खातों में रुपए भेजे गए हैं, उनकी जांच की जा रही है।

दैनिक भास्कर ने साइबर एक्सपर्ट से जाना कि क्या है APK फाइल, ठगी के लिए किस साफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है, किस तरह APK से मिलता है खातों का एक्सेस और इस फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?

साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू के अनुसार साइबर ठग APK साफ्टवेयर में मालवेयर या स्पाइवेयर (जासूसी/ हैकिंग साफ्टवेयर) को पैच करके मैसेज भेज रहे हैं। ये ठगी स्पाइड्रॉइड, अहमिथ, स्पाइड्रॉइड 888 साफ्टवेयर की मदद से की जाती है।