छत्तीसगढ़ में बस्तर के 29 गांवों के लिए इस बार आजादी का पर्व बहुत खास है। कभी नक्सलियों के कब्जे में रहे इस गांव के लोगों को अब नक्सलवाद से आजादी मिल गई है। देश की आजादी के बाद पहला ऐसा मौका है, जब आज इन गांवों में शान से तिरंगा फहराया गया। इससे पहले तक नक्सली यहां काला झंडा फहराते थे।दरअसल, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले के 29 ऐसे गांव हैं, जहां नक्सलवाद चरम पर था। यहां लोकतंत्र नहीं बल्कि नक्सलियों का गनतंत्र हावी था। सालभर के अंदर सुरक्षा बलों का कैंप खोला गया। फोर्स अंदरूनी इलाके में घुसी। नक्सलियों का एनकाउंटर कर उन्हें खदेड़ा गया। कैंप स्थापित होने के बाद आज पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया।
फोर्स की मौजूदगी के बीच पहली बार इन इलाकों के ग्रामीण हाथों में तिरंगा पकड़ें। भारत माता की जय-जयकार कर आजादी का जश्न मनाया। वहीं बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के लाल बाग मैदान में केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, दंतेवाड़ा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और जगदलपुर MLA किरण सिंहदेव ने ध्वजारोहण किया।लगातार हो रहे एनकाउंटर से बैकफुट पर नक्सली
बीजापुर जिले के 11, नारायणपुर के 11 और सुकमा के 7 गांव में आजादी का पर्व मनाया गया। बीजापुर जिले का पुजारी कांकेर जो नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता था, फोर्स अब यहां तक भी पहुंच चुकी है। वहीं कोंडापल्ली और जिडपल्ली जैसे गांव में भी नक्सल दहशत थोड़ी कम हुई है।
हाल ही के कुछ दिन पहले नारायणपुर के अबूझमाड़ में DRG के जवानों ने नक्सली लीडर बसवा राजू का एनकाउंटर किया। जिसके बाद से माओवाद संगठन थोड़ा बैकफुट पर है। IG की अपील- हिंसा छोड़ दें नक्सली
इधर बस्तर के IG सुंदरराज पी ने कहा कि, सालभर के अंदर दक्षिण बस्तर से लेकर अबूझमाड़ इलाके में कुल 29 कैंप स्थापित किए गए हैं। अब यहां के ग्रामीण राष्ट्रीय पर्व मनाया जा रहा है। IG ने नक्सल संगठन में सक्रिय नक्सलियों से अपील की है कि वे नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़ दें। मुख्य धारा में लौट आएं।