छत्तीसगढ़ में 14 अगस्त को DSP (उप पुलिस अधीक्षक) ट्रांसफर लिस्ट जारी हुई। जिसमें 11 DSP के तबादलों की इस सूची में पहली बार थानेवार पोस्टिंग की व्यवस्था की गई है। लेकिन इस नई प्रणाली से कई विसंगतियां सामने आई है।
महिला DSP लितेश सिंह ने इस आदेश पर सवाल उठाते हुए गृह विभाग की ट्रांसफर नीति को कठघरे में खड़ा किया है। उनका पत्र सोशल मीडिया और DSP के वॉट्सऐप ग्रुप पर तेजी से वायरल हो गया। जिस पर कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रतिक्रिया दी है।
पढ़िए क्या है पूरा मामला
DSP लितेश सिंह को गरियाबंद जिले के एक थाने का प्रभारी बनाते हुए पोस्टिंग दी गई है। 2016 बैच की राज्य पुलिस सेवा अधिकारी लितेश सिंह ने आदेश पर आपत्ति जताते हुए राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि इस आदेश में कई गंभीर विसंगतियां हैं, जो पुलिस प्रशासन की कार्यकुशलता और पद की गरिमा को प्रभावित करती है।
पढ़े पत्र में क्या लिखा है
लितेश सिंह ने पत्र में आरोप लगाया कि एक ही पद पर दो अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जबकि कई रिक्त पद अब भी खाली पड़े हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तीन साल से अधिक सेवाकाल पूरे करने वाले अधिकारियों को फिर से उन्हीं क्षेत्रों में भेजा गया है। इसके अलावा, कई जिलों में DSP (अजाक), DSP (यातायात) और DSP (साइबर सेल) जैसे पद रिक्त या सृजित ही नहीं किए गए हैं।
DSP बोले- प्रशासनिक चुनौतियां बढ़ेगी
लितेश सिंह ने बताया कि, पहली बार दो अलग-अलग अनुविभागों के थानों को मिलाकर एक DSP की पोस्टिंग की गई है। इससे न केवल विभाग-अनुविभाग की मूल संरचना प्रभावित होगी, बल्कि प्रशासनिक और कानूनी चुनौतियां भी सामने आएंगी। उनका कहना है कि यह व्यवस्था भविष्य में न्यायिक प्रक्रिया में भी विसंगतियां पैदा कर सकती है।
DSP ग्रुप पर यह पत्र वायरल होते ही कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। अधिकारियों ने माना कि इस तरह की नीति से योग्य अधिकारियों की सेवाओं का पूरा लाभ शासन को नहीं मिल पा रहा है। जबकि दूसरी ओर कई महत्वपूर्ण पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं।
DSP में थानेदारों की पोस्टिंग पर बवाल
गृह विभाग ने जिस तरह से थानेवार पोस्टिंग की शुरुआत की है, उसे कई अधिकारी “नीति विरुद्ध” बता रहे हैं। राज्य पुलिस सेवा का DSP पद राजपत्रित अधिकारी का पद होता है, जिसकी नियुक्ति लोक सेवा आयोग की त्रिस्तरीय परीक्षा के बाद होती है। ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि इस पद की गरिमा को बनाए रखना बेहद जरूरी है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बोलने से किया इनकार
DSP के वायरल लेटर पर दैनिक भास्कर ने राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष से चर्चा की। एसोसिएशन के अधिकारियों ने पूरे मामले में ऑफिशियल बयान देने से मना कर दिया। अफसरों ने कहा कि, एसोसिएशन का इंटरनल मामला है। इसमें बोलने लायक जैसा कुछ भी नहीं है।