छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। जेल से पुलिसकर्मी चैतन्य को कोर्ट लेकर पहुंचे। कोर्ट में शराब घोटाला केस में सुनवाई चल रही है। साथ ही EOW को रिमांड देने पर भी सुनवाई चल रही है। EOW-ACB ने चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट का आवेदन लगाया है। इससे पहले भी EOW ने प्रोडक्शन वारंट दाखिल किया था, लेकिन उस समय चैतन्य बघेल के वकील ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें स्पेशल कोर्ट का रुख करने की सलाह दी थी।
बाद में स्पेशल कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद EOW ने दोबारा प्रोडक्शन वारंट एप्लिकेशन दाखिल किया है। ED ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। तब से चैतन्य रायपुर जेल में बंद है। चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले- ED
दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया।
ED के मुताबिक चैतन्य बघेल ने ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की है। चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट
ED ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे।
प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया। फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी
ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।
ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि, ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ।
ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।
5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर
ED के मुताबिक भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए, लेकिन ED की जांच में सामने आया कि जो 5 करोड़ रुपए चैतन्य की दो कंपनियों को लोन के रूप में दिया गया । बाद में इसी ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिसकी कीमत 80 लाख थी। ED ने बताया कि यह पैसा शराब घोटाले से आया हुआ कैश था। यह पैसा बैंक के जरिए ट्रांसफर किया गया। ताकि कैश को लीगल दिखाया जा सके।