निर्धारित मापदंड में खरे उतरने के बावजूद नवीन धान उपार्जन केंद्र गरहाडीह में नहीं खोले जाने के कारण क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश

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*वर्षों से लंबित धान खरीदी केंद्र गरहाडीह में खोले जाने संजय नेताम ने दोबारा पत्राचार शासन प्रशासन को किया*

*पूरन मेश्राम/मैनपुर*

गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर

राजापड़ाव क्षेत्र के आठ ग्राम पंचायत के सैकडो किसानों के लिए वर्षों से शोभा में ही धान उपार्जन केंद्र सोसायटी स्थापित है। जहां किसानों को धान बेचने लंबी दूरी तय करके आना पड़ता है। परिवहन व्यय, ट्राली की व्यवस्था, लंबी प्रतीक्षा एवं मौसम की प्रतिकूलता के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों ने इस समस्याओं को शासन प्रशासन के समक्ष कईयो बार पत्राचार आवेदन निवेदन कर नवीन धान उपार्जन केंद्र गरहाडीह में खोले जाने के लिए गुहार लगाई गई उसके बावजूद भी अभी तक किसानों के समस्याओं को शासन प्रशासन नजरअंदाज करते हुए नवीन धान उपार्जन केंद्र गरहाडीह में नहीं खोला गया जिससे क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश दिख रहा है। राजापड़ाव क्षेत्र के रहवासी कर्मठ संघर्षशील जुझारू पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सह वर्तमान जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम के नेतृत्व में लगातार क्षेत्र के किसानों ने शासन प्रशासन को पत्राचार कर वाजिब मांँग किया जो लगता है अभी भी अधर में लटक जाएगा। इस संबंध में जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने कहा कि इस बार भी मैंने 3/11/2025 को खरीफ विपणन वर्ष 2025 -26 में ग्राम गरहाडीह मे नवीन धान उपार्जन केंद्र खोलने के लिए शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित पत्राचार के माध्यम से कराया गया जिसके तहत जिला स्तरीय कमेटी द्वारा पुनः परीक्षण कर संपूर्ण मापदंड को सही पाकर अनुशंसा किया गया है। क्षेत्र के सैकड़ो किसानो की जायज मांँग को लेकर लंबे समय से धान खरीदी केंद्र गरहाडीह में खोलवाने पूर्व में भी जिला प्रशासन द्वारा किसानों की समस्याओं को देखते हुए मंत्रालय रायपुर तक संपूर्ण दस्तावेजों के साथ अनुशंसा कर पत्राचार किया गया था। परंतु अब तक नवीन धान खरीदी केंद्र स्वीकृत नहीं हो पाई जिससे क्षेत्र के सैकड़ो किसान जो प्रत्येक वर्ष धान उपज करके भी खरीदी केंद्र दूरस्थ होने के कारण गंभीर समस्याओं से जूझते हैं।धान खरीदी शुरुआत होने में कुछ ही दिन शेष रह गई है। इस बार गरहाडीह में धान खरीदी केंद्र नहीं खुलने से क्षेत्र के किसानों में भयंकर आक्रोश और आंदोलन के दिशा में रुख अख्तियार कर सकते हैं। जिनकी संपूर्ण जिम्मेदारी और जवाबदेही शासन प्रशासन की होगी।