नक्सलियों के MMC (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़) जोन के हार्डकोर अंतिम 2 माओवादी DVCM दीपक उर्फ सुधाकर और ACM रोहित उर्फ मंगलू ने आत्म समर्पण कर दिया है। इनके सरेंडर के बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने दावा किया है कि राज्य से सशस्त्र नक्सलवाद का पूरी तरह से अंत हो गया है। वहीं नक्सलियों का MMC अब पूरी तरह खत्म हो गया है।
नक्सली दीपक और रोहित इन दोनों पर कुल 43 लाख रुपए का इनाम घोषित है। दीपक (56) साल 1986 में नक्सल संगठन में भर्ती हुआ था। इसपर कुल 100 से ज्यादा अपराध दर्ज हैं।
वहीं जवानों ने नक्सलियों के डंप किए SLR, इंसास समेत अन्य हथियार और विस्फोटक सामान भी बरामद किए हैं। CG में नक्सलियों के खिलाफ संघर्ष जारी
इधर, छत्तीसगढ़ का दंडकारण्य अब भी नक्सल हिंसा से प्रभावित है। यहां नक्सलवाद खत्म करने अब भी संघर्ष चल रहा है। हालांकि, नक्सली सतीश उर्फ रूपेश के सरेंडर के बाद नक्सलियों का माड़ डिवीजन लगभग खत्म हो गया है।
वहीं नक्सलियों की बटालियन नंबर 1 का कमांडर देवा, पश्चिम बस्तर डिवीजन में पापा राव समेत अन्य नक्सली कैडर की पुलिस तलाश कर रही है।
अब जानिए MP में कैसे नक्सलियों ने पसारे थे पैर
दरअसल, मध्यप्रदेश राज्य के बालाघाट, मंडला, डिंडोरी जिले में साल 1990 में बंदूकों और हिंसा के माध्यम से ग्रामीणों को डरा-धमका कर नक्सलियों ने अपना प्रभाव जमाना शुरू किया था। मध्यप्रदेश में साल 1990 में थाना बिरसा अंतर्गत नक्सलियों के खिलाफ पहली FIR दर्ज की गई थी। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने नक्सल विरोधी अभियान शुरू किया था। साल 1990 से 2025 तक नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान 38 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। नक्सलियों ने उस इलाके में कुल 57 आम नागरिकों की हत्या की है। सुरक्षाबलों ने 45 हथियारबंद नक्सलियों का एनकाउंटर किया है, जबकि 28 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है।
मध्य प्रदेश से नक्सलवाद खत्म करने हॉकफोर्स, CRPF, कोबरा, जिला पुलिस बल नक्सलियों से लड़ी और अंदरूनी इलाकों में पैठ जमाई है। अब जानते हैं नक्सलियों ने कैसे खड़ी की थी अपनी टीम
पुलिस रिकॉर्ड्स के मुताबिक, साल 2014 से 2016 के बीच नक्सलियों ने मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ बॉर्डर को MMC जोन के रूप में डेवलप किया था। सेंट्रल कमेटी मेंबर मिलिंद तिलतुमड़े को यहां का प्रभार दिया गया था। तब हथियारबंद नक्सलियों की संख्या करीब 80 से 100 से ज्यादा की थी।
2 डिवीजन बनाए थे
नक्सलियों ने MMC जोन में 2 डिवीजन बनाए थे। जिनमें गोंदिया-बालाघाट-राजनांदगांव (GBR) और कान्हा-भोरमदेव (KB) डिवीजन था। तब नक्सली मंगू को GBR का प्रभारी बनाया गया था, वहीं KB का प्रभारी सुरेंद्र उर्फ करीब था। SZCM अनंत को पूरे MMC जोन का प्रवक्ता बनाया गया था। नक्सलियों की ये टीम लगातार खुद को मजबूत कर रही थी।