कोरोना नामक वैश्विक महामारी को लेकर पूरा देश सहम सा गया है। व्यापार–व्यवसाय लगभग बंद हो गए हैं। सभी की दिनचर्या में भी काफी बदलाव देखा जा रहा है। ऐसे में अगर हम महफूज हैं तो असल जीवन के हीरो पुलिस के जवान, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और सफाई कर्मी के बदौलत हैं, जो दिन–रात खुद की जान की फिक्र किये बगैर ड्यूटी पर तैनात हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में शासन–प्रशासन जी–तोड़ मेहनत कर रहा है। वहीं प्रदेश के शहर से लेकर गांवों तक कानून व्यवस्था का सारा दारोमदार पुलिस प्रशासन के जिम्मे में आ गया है। पुलिस जवान राज्य के कोंटा से वाड्रफनगर और बाघनदी से सरायपाली तक भीषण गर्मी में सड़क पर यह जानते हुए भी सीना तान कर डटे हुए हैं कि यह महामारी संक्रमण के जरिए तेजी से फैलती है और जान भी ले लेती है। पुलिस महकमें में अधिकारी से लेकर सिपाही तक भूख, प्यास और अपने परिवार की चिंता किये बगैर सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखने दिन–रात काम कर रहे हैं। उनका परिवार संक्रमण से बचा रहे इसके लिए पुलिस कार्मी कई दिनों तक घर भी नहीं जा रहे हैं। अपने बच्चों से दूर हैं, ताकि जनता को सुरक्षित रख सकें। ऐसे समय में पुलिसकर्मी अपने सख्त छबि के बीच मानवीय कार्य भी आगे बढ़कर कर रही है।
लोग भूखे ना रहें इसलिए कई घरों में तो पुलिस के जवानों ने राशन भी पहुंचाया है। माना की इनकी कुछ सख्ती हम सभी को बुरी जरुर लग रही है, परंतु यह जरुरी है। ये सड़क पर खड़े हैं, सख्त हैं लॉकडाउन को लेकर तभी हम अपने घरों में महफूज हैं। वहीं अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रदेश में इस महामारी के चपेट में आए मरीजों की संख्या काफी कम है। इस लड़ाई के असली हीरो डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ भी हैं। जिन परिस्थितियों में आज जिस तरह से अपना धर्म और कर्म निभा रहे हैं वे यही चाहते हैं कि लोग भी उनका साथ उसी शिद्दत से दे तभी इस गंभीर वायरस का मुकाबला किया जा सकता है।
कोरोना से संक्रमित मरीजों को ठीक करने में सबसे बड़ा और अधिक खतरा डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को ही रहता है, बावजूद इसे ये अपना कर्म बखूबी से निभाते हुए तन्मयता से कोरोना संक्रमित एवं संभावितों का उपचार कर रहे हैं।