मैनपुर। उमंग और उत्साह से सराबोर होकर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव पर्व मना रहा था, ठीक दूसरी और प्रदेश के गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक अंतर्गत गोपालपुर ग्राम में ग्रामीण का उत्साह कुछ अलग ही था। ग्रामीण आज़ादी के पर्व के साथ साथ उस खुशी से भी आनंदित सराबोर थे जिसमें सरकार ने वनांचल क्षेत्र में रहने वालों को जंगल के संवर्धन, प्रबंधन और संरक्षण का जिम्मेदारी सौंपते हुए सामुदायिक पट्टा देते हुए एक तरह से जंगल में रहने वालों को मालिकाना हक दे दिया है उसके चलते ग्रामीणों में उत्साह दोगुना था। ग्रामीणों ने आज़ादी का पर्व जंगल जा कर मनाया। ग्रामीणों ने जंगल में ही ध्वजारोहण, राष्ट्रगान कर तिरंगे को सलामी भी दिया। इस क्षेत्र में ऐसा उत्साह और उमंग जंगल में देखने को पहली बार मिला है। बड़ी संख्या में खुशी मनाने जंगल पहुंचे थे ग्राम सभा के सदस्य।
गरियाबंद जिले के विकासखंड मैनपुर अंतर्गत अधिकांश गांव समाज ग्राम सभा को शासन प्रशासन की ओर से सामुदायिक वन अधिकार एवं सामुदायिक वन संसाधन पर अधिकार दिया जा रहा है।
हमारी जिम्मेदारी वन संसाधन पर अधिकार मिलने के बाद और बढ़ जाती है। जंगलों पर हमारा मालिकाना हक हमें अपने कर्तव्यों का बोध करा रही है कि आप इस जंगल के मालिक हो,इसका संरक्षण संवर्धन के जिम्मेदारी भी हम गांव समाज ग्राम सभा को ही करना पड़ेगा। नहीं तो प्रमाण पत्र को पकड़े बैठे रह जाएंगे और उस दिशा में कुछ भी काम नहीं कर पाएंगे।
जिसके लिए हमें सामुदायिक वन अधिकार एवं सामुदायिक वन संसाधन पर अधिकार केन्द्र व छत्तीसगढ़ शासन ने दिया है।केन्द्र सरकार वन अधिकार अधिनियम 2006 लागू कर जनजातियों को छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जंगल पर प्रबंधन संरक्षण संवर्धन का अधिकार दे रही है। वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा सभी ग्राम वासियों को अपने वनों के संरक्षण प्रबंधन में गांव के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए प्रकृति और संस्कृति को बचाने में अहम भूमिका निभानी होगी।
जिन ग्राम सभाओं को अभी तक सामुदायिक वन अधिकार एवं सामुदायिक वन संसाधन पर अधिकार नहीं मिला हुआ है। प्रक्रिया बध्द तैयारी करते हुए शासन प्रशासन से संवाद किया जाना चाहिए। निश्चित तौर से सफलता ग्राम सभाओं को मिलेगी।