रायपुर। प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुुनिश्चित कर छत्तीसगढ़ देश का अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गांवों में पेयजल योजनाओं के लिए 2 हजार की आबादी के बंधन को समाप्त कर कम आबादी वाले गांवों में भी पेयजल योजनाओं के माध्यम से जलापूर्ति की व्यवस्था से ग्रामीण अंचल के लोगों को सहजता पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार के मार्गदर्शन में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना राज्य सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। भू-जल स्त्रोतों के साथ वर्षा जल के संचयन और भू-जल संवर्धन के साथ सतही जल स्त्रोतों का उपयोग कर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की नीति पर राज्य सरकार कार्य कर रही है।
राज्य सरकार द्वारा बी.पी.एल परिवारों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2019 में मिनीमाता अमृत धारा योजना प्रारंभ की गई है। जिसके अंतर्गत बी.पी.एल. परिवारों को मुफ्त नल कनेक्शन देने का प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य की इस महत्वाकांक्षी योजना से अब तक 40 हजार 831 परिवारों को मुफ्त घरेलू नल कनेक्शन दिया जा चुका है। छत्तीसगढ़ में लगभग 20 हजार गांव हैं। जल आवर्धन योजना अंतर्गत 3 हजार गांव में पाइप लाइन के जरिए पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही जल जीवन मिशन में वर्ष 2024 तक राज्य के हर गांव में घर-घर नल के जरिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने का लक्ष्य है।
राज्य में पेयजल की आपूर्ति से संबंधित निर्माण एवं संधारण के कार्यों को सहजता से समय-सीमा में पूर्ण कराने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने सबसे पहले अपना नया यूएसओआर रेट लागू कर दिया है। नया यूएसओआर रेट लागू हो जाने से पेयजल संबंधी निर्माण एवं मरम्मत के कार्यों को कराने में आसानी होगी। नया यूएसओआर रेट के कारण अब राज्य शासन के राज्यांश के अतिरिक्त अन्य वित्तीय भार की बचत होगी। इससे राज्य के सुदूर अंचल सहित अन्य इलाकों में विभागीय कामकाज को तेजी से पूरा कराने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की उन बसाहटों में जहां के पानी में आयरन तत्व की अधिकता है उसे पीने योग्य बनाने के लिए आयरन रिमूवल प्लांट लगाए गए हैं। ऐसी बसाहटें बस्तर क्षेत्र में अधिक है, जहां 40 से 50 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसी प्रकार 600 बसाहटों में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट स्थापित कर लगभग 30 से 40 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राजनांदगांव जिले की चौकी नगर पंचायत और आस-पास के 20 गांवों में जहां के भू-जल में आर्सेनिक जैसे विषैले तत्व की अधिकता थी, वहां आर्सेनिक रिमूवल प्लांट लगाकर लगभग 40 हजार लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य के दूरस्थ पहुंचविहीन, विद्युतबाधित और लो वोल्टेज की समस्या वाले इलाकों में सौर ऊर्जा आधारित ड्यूल पम्प के माध्यम से पेयजल की निर्बाध आपूर्ति की जा रही है।
गर्मी के दिनों में पेयजल संबंधी शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए प्रदेश स्तर के साथ-साथ सभी जिला मुख्यालय में कन्ट्रोल रूम स्थापित कर समस्याओं का निराकरण त्वरित रूप से किया गया। ऐसे क्षेत्र जहां ग्रीष्म काल में भू-जल स्तर गिरने से पेयजल और निस्तार की गंभीर समस्या आती है। वहां व्ही वायर इंजेक्शन वेल रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का उपयोग करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। इस तकनीक और इसकी कार्य प्रणाली के माध्यम से 2.5 एकड़ क्षेत्र में होने वाली वर्षा जल से 10 एमएलडी अर्थात एक करोड़ लीटर वर्षा जल को जमीन के अंदर इंजेक्ट कर रिचार्ज किया जा सकता है। दुर्ग जिले के निकुम और अंजोरा ढाबा गांव में इस तकनीक को लगाने का निर्णय लिया गया है।