भारत-बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार में ममता बनीं रोड़ा, जानिए कितना नुकसान

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कोलकाता। भारत की पड़ोसी देश नीति में पश्चिम बंगाल इस वक्त बड़ी अड़चन बनकर सामने है। ममता सरकार ने मार्च महीने से पेट्रापोल और बेनापोल सीमा के रास्ते बांग्लादेश से आयात पर रोक लगा दी थी। इस वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब बुधवार से बांग्लादेश ने भारतीय ट्रकों से सामान के निर्यात पर एक बार फिर रोक लगा दी है। इस गतिरोध के चलते सीमा पर सैकड़ों ट्रक फंसे हुए हैं और उनमें रखा सामान भी खराब हो रहा है।
भारत से निर्यात का विरोध कर रहे बांग्लादेशी व्यापारियों का कहना है कि जब तक भारत-बांग्लादेश से आयात की मंजूरी नहीं देता है, वे भारत से निर्यात की अनुमति नहीं देंगे। दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल की पेट्रापोल सीमा से बांग्लादेश के साथ होने वाला सीमा व्यापार भी बंद था।
आयात पर रोक से बांग्लादेशी व्यापारी नाराज
पिछले दिनों केंद्र सरकार के आदेश के बाद निर्यात को अनुमति दे दी गई थी लेकिन आयात पर पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी भी रोक लगा रखी है। इसके चलते बांग्लादेशी व्यापारी नाराज हैं। इसके चलते बांग्लादेश के साथ व्यापार में अप्रैल और मई में डॉलर 424 रुपये का नुकसान हुआ है। 2019 से तुलना करें तो इन्हीं महीनों में डॉलर 2 बिलियन का मुनाफा हुआ था। 2019 क शुरूआती पांच महीने (जनवरी से मई) डॉलर 4.1 बिलियन का मुनाफा हुआ था लेकिन 2020 में यह आंकड़ा सिर्फ 2.9 बिलियन ही रहा।
मार्च महीने में ममता सरकार ने लगाई थी रोक
लॉकडाउन से एक दिन पहले 23 मार्च से पश्चिम बंगाल ने पेट्रोपोल-बेनापोल सीमा से बांग्लादेश में आयात- निर्यात पर रोक लगा दी थी। 29 अप्रैल को सीमा से आवाजाही दोबारा शुरू हुई लेकिन 2 मई को कुछ स्थानीय विरोध प्रदर्शन के चलते इसे फिर से रोक दिया गया। 7 जून से केंद्र के आग्रह पर पश्चिम बंगाल सरकार ने सिर्फ निर्यात को अनुमति दी थी। इससे एक दिन में करीब 250 ट्रक बांग्लादेश जाने लगे थे हालांकि आयात पर रोक से बांग्लादेश व्यापारियों में गुस्सा पनप रहा था।
केंद्र ने ममता सरकार को लगाई फटकार
सूत्रों के अनुसार, बंगाल ने राज्य से होते हुए नेपाल और भूटान जाने वाले ट्रकों पर भी रोक लगाई थी। अप्रैल में गृह मंत्रालय ने ममता बनर्जी सरकार से इन देशों में ट्रकों की आवाजाही को अनुमति देने को कहा क्योंकि ये देश निर्यात को लेकर भारत पर निर्भर हैं और यह भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता का हिस्सा भी है। केंद्र ममता सरकार से स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि उसका यह ऐक्शन आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 के तहत जारी गृह मंत्रालय के आदेशों का सीधा उल्लंघन है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 253, 256 और 257 का भी उल्लंघन है। बता दें कि कोविड-19 संकट के दौरान भी केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तनातनी देखने को मिल चुकी है।
दूसरे विकल्प देख रही केंद्र सरकार
व्यापार में इस तरह के गंभीर व्यवधान से द्विपक्षीय समझौते के दूसरे पहलुओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब केंद्र पेट्रापोल-बेनापोल इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) से बाईपास के दूसरे विकल्प देख ही है।