नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दुनियाभर के कई देशों के वैज्ञानिक जल्द से जल्द इसकी वैक्सीन तैयार करने को जतन कर रहे हैं। भारत, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देश वैक्सीन बनाने की राह में अग्रसर हैं। भारत में दो वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है। रूस ने अगस्त में बड़े पैमाने पर अंतिम ट्रायल के लिए वैक्सीन लॉन्च करने की बात कही है। ब्रिटेन में आॅक्सफोर्ड की वैक्सीन अंतिम ट्रायल के फेज में है। वहीं, अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना, चाइनीज कंपनी सिनोवैक वगैरह भी वैक्सीन बनाने के काफी नजदीक है।
आईसीएमआर की मदद से भारत बायोटेक द्वारा निर्मित देसी कोरोना वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है और डोज देने के बाद इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ है। बिहार में पटना एम्स के बाद हरियाणा के रोहतक पीजीआई में भी वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। कुछ देर तक निगरानी में रखने के बाद सभी को घर भेज दिया गया।
पटना एम्स के नोडल पदाधिकारी के मुताबिक, वैक्सीन का दूसरा डोज 14 दिनों के बाद दिया जाएगा। उसके बाद निगरानी में रख कर रिजल्ट देखा जाएगा। उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
आईसीएमआर और भारत बायोटेक की कोवनिक्स एक ‘इनएक्टिवेटेड’ वैक्सीन है यानी यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्स से बनी है, जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया था या मार दिया गया था ताकि वे संक्रमित न कर पाएं। वायरस ही वायरस की काट होती है, इसी पर आधारित यह वैक्सीन है। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनती हैं और हमारा शरीर वायरस से मुकाबला करने के काबिल हो जाता है।