
कहने का मतलब यह है कि पत्थर से बने विशाल मंदिर का बोझ उठाने के लिए जिस मिट्टी की जरूरत है, वैसी मिट्टी मंदिर के आधार से नीचे नहीं मिल पा रही है। इसका पता तब चला, जब पाइलिंग टेस्ट के लिए मंदिर की नींव में लगाया गया पत्थर अपने स्थान से खिसक गया। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसका समाधान निकालने के लिए आईआईटी की टीम के अलावा कुछ और इंजिनियरिंग एक्सपर्ट्स की सहायता लेने की बात कही है।
मंदिर ट्रस्ट ने एक सब कमिटी भी बनाई है, जिसकी रिपोर्ट के बाद निर्माण की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू किया जाएगा। इसके अलावा रिसर्च टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही पूरे स्टैंडर्ड के अनुरूप नींव और मंदिर का निर्माण होगा..जिससे कि इसकी मजबूती बरकरार रहे। राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण कार्य की जो योजना बनी है, उसके तहत यहां कुल 1200 स्तंभ बनाए जाने हैं। इन पिलर्स को बनाने से पहले टेस्ट के लिए आईआईटी चेन्नै की टीम ने कुल 12 स्तंभ बनाए थे। स्तंभों पर जब लोड डाला गया तो ये जमीन से कुछ इंच खिसक गए।
इसी के बाद ये पुष्टि हुई कि जिस मिट्टी पर पिलर बनने हैं, वह बलुआ मिट्टी है। इस तथ्य की जानकारी के बाद अब आईआईटी की टीम इसका हल निकालने में जुटी हुई है। इसके अलावा ट्रस्ट के सदस्य भी अलग-अलग एक्सपर्ट्स से यह राय लेने में जुटे हैं कि मंदिर की नींव को मजबूत बनाए रखने के लिए निर्माण को किस तरह से शुरू कराया जाए।