रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का पंचम सत्र (बजट सत्र) 24 फरवरी, सोमवार से शुरू हो गया। यह सत्र 21 मार्च तक चलेगा। इस दौरान कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं। सत्र की शुरुआत राज्यपाल रमेन डेका के अभिभाषण से हुई। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। इसके बाद सत्र की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन से बाहर निकलते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इस वर्ष का बजट भी जनकल्याणकारी और सर्व समावेशी होगा। अब राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा 27 फरवरी को होगी।
विभिन्न मुद्दों को लेकर घेरेगा विपक्ष
तीन मार्च 2025 की दोपहर 12:30 बजे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार के कार्यकाल का दूसरा बजट प्रस्तुत किया जाएगा। पहले दिन वित्त मंत्री ओपी चौधरी वित्तीय वर्ष 2024-25 के तृतीय अनुपूरक बजट को प्रस्तुत करेंगे।
तृतीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा 25 फरवरी को होगी। बजट सत्र के पहले दिन दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन का उल्लेख होगा। इस बीच, विपक्ष ने सरकार की घेरने की तैयारी पूरी कर ली है।
इसमें कानून व्यवस्था से लेकर महतारी वंदन योजना, पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी, चुनाव में सत्ता के दुरुपयोग सहित विभिन्न मुद्दे शामिल हैं। इसको लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक सोमवार को नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत के बंगले में आयोजित की जाएगी।
सत्ता पक्ष-विपक्ष ने अब तक लगाए 2,367 प्रश्न
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पत्रकारों को बताया कि सत्ता पक्ष-विपक्ष के सदस्यों से अभी तक प्राप्त प्रश्नों की कुल 2,367 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं,जिनमें से तारांकित प्रश्नों की कुल संख्या 1,220 और अतारांकित प्रश्नों की कुल संख्या 1,147 है ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की 122 सूचनायें, नियम 139 के अधीन अविलंबनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा के लिए एक सूचना, अशासकीय संकल्प की कुल 18 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। अभी तक शून्यकाल की 12 सूचनाएं और 60 याचिकाएं प्रस्तुत हुई हैं।
मीसाबंदियों की पेंशन बंद न हो… कानून लाएगी साय सरकार
छत्तीसगढ़ में मीसाबंदियों की पेंशन बहाल करने के लिए राज्य सरकार कानून लाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सरकार की कैबिनेट ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में भी ‘छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक-2025’ के प्रारूप को मंजूरी दे दी है।
24 फरवरी से 21 मार्च तक प्रस्तावित छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक को पारित कराया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी सरकार के दौरान मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक न लगाई जा सके। यदि कोई सरकार पेंशन बंद करना भी चाहेगी तो यह केवल न्यायालय के हस्तक्षेप या कानून में बदलाव के बाद ही किया जा सकेगा।
अभी कानून नहीं होने के चलते पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दौरान राज्य में आपातकाल के मीसाबंदी (लोकतंत्र सेनानी) पांच साल तक अपने सम्मान निधि के लिए लड़ते रहे। पिछली सरकार ने सम्मान निधि यानी पेंशन देना बंद कर दिया था।