रायपुर। भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षा बंधन इस बार सोमवार तीन अगस्त को है। इस दिन भाई की दीघार्यु के लिए बहनें कलाई में राखी बांधती हैं और बहन की रक्षा करने का वचन भाई देता है। इस बार सावन पूर्णिमा पर अद्भुत संयोग इसे खास बना रहा है, जबकि सावन का आखिरी सोमवार भी पड़ रहा है।
साथ ही इस साल सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीघार्यु का शुभ संयोग बन रहा है। पूर्णिमा दो अगस्त रात 8.36 बजे लग जाएगी जो तीन अगस्त को रात 8.21 बजे तक रहेगी। सुबह 8. 29 बजे तक भद्रा के कारण बहनें, भाइयों की कलाई पर राखी सुबह 8.30 बजे से पूर्णिमांत यानी रात 8.21 बजे तक बांध सकेंगी।
सावन का अंतिम सोमवार
सावन पूर्णिमा पर स्नान-दान का भी विधान है। सावन का अंतिम सोमवार होने से रुद्राभिषेक-पूजन आदि के विधान अनुष्ठान भी पूरे किए जाएंगे। इसी दिन वैदिक ब्राह्माण श्रावणी उपाकर्म के विधान भी पूरे करेंगे। हालांकि कोरोना संकट के कारण सभी अनुष्ठान घर में ही करने होंगे।
रक्षाबंधन की कथा
सतयुग में देवताओं-दानवों में 12 वर्ष तक युद्ध हुआ। देवता बार-बार हारते चले गए। देव गुरु बृहस्पति की आज्ञा से युद्ध रोक दिया गया। देवगुरु के आदेश पर इंद्राणियों ने इंद्र का रक्षा बंधन किया। रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवराज इंद्र ने दैत्यों का संहार किया और देवताओं को विजय मिली। यह तिथि श्रावण शुक्ल पूणिंर्मा थी, तभी से सनातन धमिंर्यों में रक्षा बंधन पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, इसके अलावा महाभारत के युद्ध में युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर सभी सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था और कौरवों के विरुद्ध युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इस दिन बहनें अपने भाइयों को और ब्राह्मण अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांध कर एक वर्ष के लिए सुरक्षित कर देते हैं।
रक्षासूत्र का मंत्र है
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का अर्थ है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त-
प्रात: काल भद्रा के बाद
09:27 से 21:17 तक
अपराह्न मुहूर्त
दोपहर 01:47 से 04:28 तक
प्रदोष मुहूर्त
रात्रि 07:10 से 09:17 तक