चंद्रयान की कंट्रोल्ड फ्लाइट के बाद फिर लैंडिंग : 40 सेमी ऊपर उठाया, फिर 40 सेमी दूर लैंड कराया; ISRO ने इसे हॉप एक्सपेरिमेंट कहा

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श्रीहरिकोटा। चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग की। ISRO ने सोमवार को बताया कि लैंडर को 40 सेमी ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेमी की दूरी पर उसे सुरक्षित लैंड करा दिया। इसे हॉप एक्सपेरिमेंट यानी जंप टेस्ट कहा।

इस दौरान लैंडर ने इंजन चालू किया। रैंप को दोबारा खोला और बंद किया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट कर दिया गया। इसरो ने बताया, ये एक्सपेरिमेंट 3 सितंबर को किया गया। इसका मकसद फ्यूचर ऑपरेशन को सुनिश्चित करने और सैंपल वापसी को नई उम्मीद देना है।

प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा किया, स्लीप मोड में डाला गया

इससे पहले इसरो ने 2 सितंबर को बताया था कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS अब बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है।

बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

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