कृषि कानूनों पर कृषि मंत्री तोमर बोले- एक कदम पीछे हटे हैं, फिर आगे बढ़ेंगे

Chhattisgarh Crimes

नागपुर। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वापस लिए जा चुके कृषि कानूनों पर चौंकाने वाला बयान दिया है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि कृषि कानून 70 साल की आजादी के बाद लाया गया सबसे बड़ा रिफॉर्म था। लेकिन कुछ लोगों के विरोध के बाद उसे वापस लेना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि हम एक कदम पीछे जरूर हटे हैं। लेकिन दोबारा आगे बढ़ेंगे। सरकार आगे के बारे में सोच रही है, हम निराश नहीं हैं। किसान भारत की रीढ़ हैं।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर 19 नवंबर को अपने संबोधन में तीनों कृषि कानून वापन लेने का ऐलान किया था। संसद में कानून वापस लेने के बाद 1 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस पर अंतिम मुहर लगाई। इसे पंजाब और उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

एक साल चले आंदोलन में 700 किसानों की जान गई

17 सितंबर 2020 को लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर देश के इतिहास का सबसे लंबा किसान आंदोलन शुरू हुआ था। पंजाब से सुलगी आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैल गई थी। हजारों किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ अभियान के हिस्से के रूप में कानून को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की और दिल्ली कूच किया था। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों के किसानों ने 378 दिन से दिल्ली की घेराबंदी कर रखी है।

हरियाणा में किसानों पर दर्ज केस वापसी की प्रक्रिया शुरू

किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा में किसानों पर दर्ज किए गए मामले वापस लेने की प्रकिया शुरू हो गई है। पहले सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी और डिस्ट्रिक अटॉर्नी को पत्र लिखकर केसों के संबंध में राय मांगी थी। राय मिलने के बाद अब सरकार ने जिला उपायुक्त को केस वापस लेने के आदेश दे दिए हैं।

हरियाणा में किसानों पर 276 केस दर्ज हैं। इनमें से 4 मर्डर और दुष्कर्म के हैं। ये केस वापस नहीं होंगे। 272 केसों में से 178 की चार्जशीट कोर्ट में है। 57 केस अनट्रेस हैं, इसलिए ये वापस हो जाएंगे। 29 केस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और 8 की कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार है।

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