रायपुर। छत्तीसगढ़ के बार नवापारा अभयारण्य क्षेत्र में सोने के भंडार की खोज पर फिलहाल रोक लग गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच अफसरों की एक समिति को सर्वेक्षण से होने वाले नुकसान पर रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट तीन महीने के भीतर दी जानी है। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी।
बलौदा बाजार-भाटपारा जिले में स्थित बारनवापारा वन्य जीव अभयारण्य में बाघमारा (सोनाखान) स्थित है। पहले किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर यहां 2700 किलोग्राम स्वर्ण भंडार अनुमानित है। केंद्र सरकार ने 2016 में इस खदान की ई-नीलामी कराई थी। इसको वेदांता समूह ने हासिल किया है। अब कंपनी यहां खनन पूर्व सर्वेक्षण करना चाहती है, ताकि स्वर्ण भंडार की ठीक-ठीक स्थिति का पता लगाया जा सके। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार के खनिज साधन विभाग को आवेदन किया है। योजना है कि प्रस्तावित खनन क्षेत्र में कंपनी 58 बोरवेल बनाकर स्वर्ण भंडार की वास्तविक स्थिति का पता लगाएगी। रायपुर के संजीव अग्रवाल ने इसपर आपत्ति की है।
संजीव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका लगाकर कहा कि अगर यहां पूर्वेक्षण होता है तो वन पर्यावरण को नुकसान होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पांच विभिन्न विभागों के अफसरों की एक समिति से रिपोर्ट तलब किया है। इसमें केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के एक सदस्य, छत्तीसगढ़ खनिज साधन विभाग के प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण संरक्षण मंडल और कलेक्टर बलौदा बाजार को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को इसका नोडल विभाग बनाया गया है। इस समिति का गठन चार सप्ताह के भीतर कर लेने को कहा गया है। गठन के बाद तीन महीनों के भीतर इस कमेटी को बैठक कर खनन के प्रभावों पर अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। मामले की अगली सुनवाई दो अगस्त 2022 को होनी है।
शहीद वीरनारायण सिंह की जन्मभूमि
सोनाखान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद वीर नारायण सिंह की जन्मस्थली भी है। इसकी वजह से इसका सांस्कृति-ऐतिहासिक महत्व भी है। वहां खनन गतिविधियों को लेकर स्थानीय ग्रामीण विरोध पर भी अमादा हैं।