बीईओ पिथौरा का गजब कारनामा, 16‌:61लाख का मुआवजा किसने डकारा??

Chhattisgarh Crimesशिखा दास

महासमुन्द

मामला भगतदेवरी स्कुल

स्कूल का 16.61 लाख मुआवजा सरपंच को थमा दिया, सात साल बाद भी निर्माण अधूरा

संभागीय संयुक्त संचालक ने कहा BEOदोषी ??

कार्यवाही ना होने की चर्चा

अप्रेल में होंगे रिटायर सीईओ!फिर

पिथौरा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कमलेश ठाकुर का एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें स्कूल भवन क्षतिपूर्ति के रूप में मिली ₹16,61,163/- की राशि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के ग्राम पंचायत भगतदेवरी के सरपंच को सौंप दी गई। हैरानी की बात यह है कि यह राशि फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान शासकीय मिडिल स्कूल भगतदेवरी के अहाते और कमरे को हुए नुकसान की भरपाई के रूप में मिली थी।

 

मुआवजा मिलने के सात साल बाद भी न तो स्कूल भवन की मरम्मत हुई है और न ही कोई निर्माण कार्य पूरा हुआ है। पूरा बजट खर्च हो चुका है, लेकिन स्कूल वैसा ही जर्जर पड़ा है।

 

 

 

आरटीआई से खुलासा, उच्च स्तरीय शिकायत पर जांच

 

आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने इस मामले की शिकायत 27 अगस्त 2024 को मुख्य सचिव अमिताभ जैन, स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी और संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय को साक्ष्यों सहित दी थी।

 

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए 13 सितम्बर 2024 को सहायक संचालक अजीत सिंह जाट और वरिष्ठ लेखा परीक्षक रमेश कुमार देवांगन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया।

 

दोनों जांच अधिकारियों ने आरोपों को सही पाया और अपनी रिपोर्ट संभागीय संयुक्त संचालक को सौंप दी।

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किस तरह हुआ था फर्जीवाड़ा?

 

06 अगस्त 2018 को बीईओ ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पिथौरा के समक्ष शपथपत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने मुआवजा राशि अपने भारतीय स्टेट बैंक खाते में जमा करने की अनुमति मांगी थी।

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इसके अगले ही दिन, 07 अगस्त 2018 को मुआवजा राशि बीईओ के खाते में ट्रांसफर कर दी गई। इसके बाद, 01 जुलाई 2020 को बीईओ कमलेश ठाकुर ने यह पूरी राशि बिना किसी वैध आदेश या स्वीकृति के सरपंच भगतदेवरी को सौंप दी, जिसकी जानकारी उच्च कार्यालय को भी नहीं दी गई।

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पंचायत की कोई भूमिका नहीं फिर भी पैसा क्यों?

 

जांच में यह बात भी सामने आई कि ग्राम पंचायत ना तो कार्य एजेंसी है, ना ही उसे किसी भी प्रकार की स्वीकृति प्राप्त थी, और ना ही कोई स्टीमेट या मूल्यांकन रिपोर्ट मौजूद थी।

 

सूत्रों के अनुसार, कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौखिक सिफारिश पर यह राशि सरपंच को दी गई। लेकिन ना ही सरपंच और ना ही सचिव ने जनपद पंचायत या जिला पंचायत को इस खर्च की जानकारी दी।

 

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अब क्या होगा आगे?

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संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय ने बताया कि बीईओ पिथौरा दोषी पाए गए हैं, लेकिन उनके विरुद्ध कार्रवाई का अधिकार संभागीय कार्यालय को नहीं है। इसलिए संपूर्ण जांच प्रतिवेदन शासन को भेज दिया गया है, जहां से आगे की कार्रवाई तय होगी।

 

अब सवाल यह है कि सात साल से अधूरी पड़ी स्कूल की मरम्मत आखिर कब पूरी होगी, और क्या इस वित्तीय अनियमितता के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी?