रायपुर। छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस का पहला केस 21 अप्रैल के आसपास सामने आया था। उस समय इलाज तो शुरू हो गया था, लेकिन सरकार ने इसकी पुष्टि नहीं की। 10-11 मई को जब ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई तो प्रदेश में प्रभावित मरीजों की संख्या 14 हो चुकी थी। रविवार रात तक संक्रमितों की संख्या 297 हो चुकी है। इनमें से 225 से अधिक का अभी भी इलाज जारी है। 34 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि एपिडेमिक कंट्रोल के संचालक डॉ. सुभाष पाण्डेय 21 मौतों को ही ब्लैक फंगस से हुई मौतें बता रहे हैं। उनका कहना है कि ब्लैक फंगस से पीड़ित शेष 13 मरीजों की मौत दूसरी बीमारियों की वजह से हुई है। डॉ. मिश्रा ने बताया, अभी प्रदेश भर में ब्लैक फंगस के 225 मरीजों का इलाज जारी है। इनमें से रायपुर एम्स में 147 मरीज भर्ती हैं। रायपुर के डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में 27 और भिलाई के सेक्टर-9 अस्पताल में 24 मरीजों का इलाज चल रहा है। अन्य मरीज विभिन्न जिलाें के सरकारी और निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं।
165 मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक संक्रमण की चपेट में आए मरीजों में से 165 की सर्जरी हुई है। उनमें से कई लोगों के मस्तिष्क और पेट की गंभीर सर्जरी भी करनी पड़ी है। एपिडेमिक कंट्रोल के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, संक्रमित हिस्से में मवाद भर जाता है तो सर्जरी से उसे निकालना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं है तो दवाओं से ही फंगस को सुखाने की कोशिश होती है।
मौतों की दर कोरोना से कई गुना
ब्लैक फंगस मामले में मौताें की दर कोरोना महामारी से कई गुना अधिक है। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 18 मार्च 2020 को सामने आया। संक्रमण की शिकार लंदन से रायपुर आई एक युवती थी। संक्रमण का दूसरा केस आने में कई दिन लगे। कोरोना से पहली मौत 29 मई 2020 को दर्ज हुई। इसके ठीक उलट ब्लैक फंगस का पहला मामला 21 अप्रैल 2021 को आया। 11 मई को पहली मौत हुई। 14 जून तक 21 लोगों की मौत केवल ब्लैक फंगस की वजह से हो चुकी है।