- जिले के जनपद सीईओ नदारद, समितियों की कम उपस्थिति से हुये नाराज, सम्मेलन रद्द करने दिए निर्देश…
- मछुआ कल्याण बोर्ड अध्यक्ष ने पुनः सम्मेलन कराने का दिया आदेश…

महासमुंद। मछुआ सम्मेलन में मछुआ समितियों की कम उपस्थिति और जिले के जनपद पंचायतों के सीईओ के गैर मौजूदगी को लेकर मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एम आर निषाद अफसर पर भड़के। मत्स्य विभाग की लापरवाही बरतने को लेकर अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए सम्मेलन को रद्द कर दिया गया। वहीं अध्यक्ष की नाराजगी को देख मत्स्य विभाग के सहायक संचालक ओ. पी. मेहरा ने इसके लिए मांफी भी मांगी।
जिला मत्स्य विभाग द्वारा मंगलवार को वन प्रशिक्षण शाला में मछुआ सम्मेलन एवं सामग्री वितरण का आयोजन किया गया था। जिसके मुख्य अतिथि मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एम. आर. निषाद थे। इस सम्मेलन में जिले के तमाम जनपद पंचायत के सीईओ को शामिल होना था। इसी प्रकार जिले भर के 101 समिति को भी हिस्सा लेना था। लेकिन मत्स्य विभाग के अफसरों ने इसकी जानकारी न सीईओ को दी और ना ही मछली पालन से जुड़े समितियों को।
यहीं नहीं इस सम्मेलन की जानकारी जनप्रतिनिधियों को भी नहीं दिया गया। जिसकों लेकर सभी ने नाराजगी जताई। तो दूसरी ओर इस सम्मेलन में महज जिले के चुनिंदा समितियां ही शामिल होने पहुंचे थे। जिसे देख मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष श्री निषाद मत्स्य विभाग के अफसरों पर जमकर भड़ास निकाली। और सम्मेलन को रद्द करने का आदेश दिया। बोर्ड अध्यक्ष श्री निषाद ने कहा कि प्रदेश में पहला अवसर है जिनके लिए सम्मेलन का आयोजन किया गया उन्हें ही सूचना नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि सामग्री वितरण महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि मछुआरे की समस्या का निदान करना जरूरी है। बोर्ड अध्यक्ष ने इस सम्मेलन को रद्द कर पुनः सम्मेलन का आयोजन करने के निर्देश दिए।
इस दौरान मछुआ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ढेलू निषाद ने अफसरों पर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मछुआ सम्मेलन रखा गया और इसकी जानकारी समितियों को नहीं दी गई। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की छवि धुमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य अमर चंद्राकर ने कहा कि मछुआ सम्मेलन की जानकारी जनप्रतिनिधियों तक को नहीं दिया गया। ऐसे में विभाग द्वारा समितियों को भी सूचना नहीं देने के कारण ही समितियों की उपस्थिति नागण्य है। श्री चंद्राकर का कहना था कि सम्मेलन उन समितियों को ही बुलाया गया है जिन्हें जाल वितरण किया जाना था। जिस पर मत्स्य विभाग के सहायक संचालक ओ. पी. मेहरा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। और कहा कि सभी को इस सम्मेलन की सूचना भेजी गई थी।