छत्तीसगढ़ में चर्चित डीएमएफ घोटाले में गिरफ्तार कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ में चर्चित डीएमएफ घोटाले में गिरफ्तार कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दे दी है। वहीं, कोयला लेवी ‘घोटाला’ मामले में सूर्यकांत तिवारी को दी गई अंतरिम ज़मानत रद्द करने से इनकार कर दिया है।

इस मामले में सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, शशांक मिश्रा और तुषार गिरि ने सूर्यकांत तिवारी की ओर से अदालत में पक्ष रखा गया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि, सूर्यकांत तिवारी को निर्धारित कानूनी शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी जाती है। अधिवक्ताओं ने आश्वस्त किया कि उनके मुवक्किल सभी शर्तों का पूर्णतः पालन करेंगे और जांच में सहयोग देंगे।

डबल बेंच में हुई सुनवाई

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कहा कि, मई के आदेश के तहत तिवारी पर शर्त लगाई। जिसके अनुसार वह जांच एजेंसियों/निचली अदालतों द्वारा आवश्यक होने पर ही छत्तीसगढ़ राज्य में रहेंगे।

अदालत दो मामलों पर विचार कर रही थी – पहला, तिवारी ने DMF ‘घोटाला’ मामले में अंतरिम ज़मानत की मांग करते हुए दायर किया। दूसरा, कोयला लेवी ‘घोटाला’ मामले से संबंधित, जहां छत्तीसगढ़ राज्य ने उन्हें दी गई ज़मानत रद्द करने के लिए एक आवेदन दायर किया था।

जारी किए गए आदेश में कहा गया

कोर्ट ने कहा कि, “हमारा मानना है कि इस मामले में भी याचिकाकर्ता को इस समय अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जा सकता है। निष्पक्षता से कहें तो हम दोनों पक्षों की दलीलों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस तरह के समग्र विचार को अंतिम सुनवाई के चरण तक टालना बेहतर है।”

कोयला लेवी ‘घोटाला’ मामले में तिवारी की ज़मानत रद्द करने की प्रार्थना पर न्यायालय ने कहा कि, “हमने याचिकाकर्ता सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम ज़मानत देने वाले 29.05.2025 के अपने आदेश को वापस लेने के लिए दिए गए आधारों पर विधिवत विचार किया। हालांकि, हमें इस समय वर्तमान आवेदन पर विचार करने का कोई ठोस कारण नहीं मिला है। तदनुसार इसे खारिज किया जाता है।”

साथ ही न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को तिवारी की अंतरिम ज़मानत रद्द करने की मांग करने की स्वतंत्रता सुरक्षित रखी, यदि रियायत के दुरुपयोग के बारे में कोई तथ्य सामने आता है।

क्या है DMF घोटाला

प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

ED के तथ्यों के मुताबिक, टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।

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