बिलासपुर में लगातार हो रही बारिश आफत बन गई

Chhattisgarh Crimesबिलासपुर में लगातार हो रही बारिश आफत बन गई है। शहर के निचली बस्तियों के साथ ही रिहायशी इलाकों में बारिश का पानी घरों में घुस गया, जिसके चलते लोग पूरे दिन परेशान होते रहे। वहीं, ग्रामीण इलाकों के साथ ही सूखी अरपा नदी में बाढ़ की स्थिति बन गई है।

इधर, मौसम विभाग ने सोमवार को भी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसे देखते हुए कलेक्टर ने भी आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम के साथ ही मैदानी अमले को तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।

सावन शुरू होने से पहले ही जमकर हुई बरसात

जिले में इस बार मानसून पहले ही सक्रिय हो गया था। लेकिन, बीच में बारिश थम गई थी। जुलाई यानी कि आषाढ़ में अपेक्षाकृत कम बरसात हुई। लेकिन, अब सावन शुरू होने से पहले ही पिछले तीन दिन से लगातार बारिश हो रही है।

रविवार की सुबह हुई मूसलाधार बारिश से शहर के रिहायशी इलाकों के घरों में भी पानी भर गया। वहीं, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही इलाके में हुई बारिश के बाद ग्रामीण इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं।

निचले इलाकों के मकानों में घुसा बारिश का पानी

रविवार को हुई बारिश के बाद शहर के निचले इलाकों में पानी भर गया। पुराना बस स्टैंड, सरकंडा, तोरवा, श्रीकांत वर्मा मार्ग, व्यापार विहार, हंसा विहार, देवरीखुर्द, राजकिशोर नगर, मोपका, सिरगिटटी, मंगला, उसलापुर आदि क्षेत्रों में लबालब पानी भर गया है।

कई स्थानों पर सड़कों पर पानी का स्तर एक फीट तक पहुंच गया, जिससे यातायात में बाधा आई और लोगों को परेशान होते रहे। वहीं, सरकंडा, सिरगिट्‌टी व चुचुहियापारा के कई जगहों में बारिश का पानी घरों में घुस गया। इसके चलते लोगों को पूरे दिन परेशानियों का सामना करना पड़ा। रविवार की रात हुई बारिश के बाद फिर से उनकी चिंता बढ़ गई है। बारिश ज्यादा हुई तो फिर से घरों तक पानी पहुंचने का डर सता रहा है।

निगम प्रशासन के दावों की खुली पोल

बारिश से पहले नगर निगम ने दावा किया था कि इस बार जलभराव की समस्या नहीं होगी। लेकिन, मूसलाधार बारिश होते ही निचली बस्तियों के साथ ही रिहायशी इलाकों जलभराव जैसे हालात बन गए। गलियों में घुटनों तक पानी जमा हो, जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी ठप हो गई है।

महापौर पूजा विधानी, कलेक्टर संजय अग्रवाल सहित नगर निगम के अधिकारी लगातार वार्डों का निरीक्षण करते रहे। लेकिन, लोगों की समस्या का समाधान नहीं निकला। बारिश से लोग घरों पर रहने के लिए मजबूर होते रहे और बारिश का पानी कम होने के बाद घरों से पानी निकालते रहे।