छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर में बढ़ते अपराध और चाकूबाजी के बीच कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है। डिजाइनर और बटनदार चाकुओं की दुकानों व ऑनलाइन बिक्री पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गृह विभाग के प्रमुख सचिव से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।
दैनिक भास्कर डिजिटल ने चाकुओं की दुकानों में खुलेआम और ऑनलाइन बिक्री के साथ ही चाकूबाजी की घटनाओं पर खबर प्रकाशित किया था। जिसे हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर स्वत: संज्ञान में लिया है।
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने पूछा कि, ऑनलाइन व खुलेआम ये खतरनाक चाकू कैसे बिक रहे हैं, बेचने और खरीदने वाले दोनों पर कार्रवाई करें।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, ये बटनदार, डिजाइनर चाकू कोई सब्जी काटने के लिए तो लेता नहीं होगा, इसकी गंभीरता को समझिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि आपके पास आर्म्स एक्ट भी है तो फिर इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
7 महीने में चाकूबाजी के 120 केस, 7 मर्डर व 122 घायल
बिलासपुर में सिर्फ जनवरी से जुलाई 2025 के बीच चाकूबाजी की 120 घटनाएं दर्ज हुईं हैं, जिसमें 7 लोगों की हत्या हो गई। जबकि, 122 लोग घायल हुए। लगातार हो रही वारदातों के बावजूद रसोई के चाकू और ओपनर के नाम पर भी घातक हथियार खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
मामूली विवाद पर लड़के चाकू जैसे धारदार हथियारों से हमला कर दे रहे हैं। पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत कुछ कार्रवाइयां जरूर कीं, लेकिन हथियारों की आसानी से उपलब्धता ने हालात को और गंभीर बना दिया।
हाईकोर्ट ने चाकू की ऑनलाइन बिक्री पर जताई चिंता
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि धारदार हथियारों की आसान उपलब्धता ने कानून-व्यवस्था को चुनौती दे दी है। ऑनलाइन साइट्स पर भी चाकुओं की बिक्री जारी है, जिसे रोकने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।