हम जब हाथ-पैर दर्द होने पर बैठ जाते तो फैक्ट्री मालिक और उसके लोग गंदी-गंदी गाली देकर मारपीट करते थे। हम शौच के लिए मैदान पर जाते थे तो ठेकेदार के आदमी हमें शौच करते देखते रहते थे। जिससे कि हम कही भाग न पाएं।’
मालती ने दैनिक भास्कर को अपना दर्द बताते हुए कहा कि उसे उत्तरप्रदेश जौनपुर से काम के बहाने रायपुर लाया गया था। लेकिन यहां पर मजदूरी के पैसे नहीं दिए गए और बंधक बनाकर रखा गया। विरोध करने पर मारपीट की गई। खाना मांगने पर बच्चों को पाइप से पीटा गया। फैक्ट्री मालिक ने एक मजदूर के पैर की उंगली पर ब्लेड चला दिया।
बता दें कि गुरुवार को महिला-बाल विकास विभाग ने रायपुर के खरोरा इलाके में एक मशरूम फैक्ट्री से 97 मजदूरों को फैक्ट्री मालिक के चंगुल से छुड़ाया है। ये मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं। इनमें महिलाएं, पुरुष और 10 दिन तक के बच्चे भी शामिल हैं।
मामला खरोरा थाना क्षेत्र का है। अधिकारियों के मुताबिक रेस्क्यू किए गए लोगों में यूपी के भदोही जिले से 30, जौनपुर जिले से 38 और बनारस से 5 लोग हैं। बाकी बिहार और झारखंड के रहने वाले हैं।
पैकिंग के काम के बहाने लाया था ठेकेदार
एक मजदूर वीरेंदर ने बताया कि करीब 5 महीने पहले भोला नाम के ठेकेदार उन्हें जौनपुर उत्तरप्रदेश से लेकर आया। कहा गया कि बैठे-बैठे मशरूम पैकिंग का काम करना है। 10 हजार रुपए महीने के मिलेंगे।
जब वह इस फैक्ट्री में पहुंचे तो उन्हें मशरूम काटने और बोझा ढोने का काम करवाया गया। उन्हें 16 से 18 घंटे काम करवाया गया। बीच में अगर मजदूर सोने चले जाते तो उन्हें ठेकेदार मारपीट कर नींद से उठाता था। मजदूरों को कमरे में बंद करके रखा जाता था। जिससे कि भाग न पाए।
कच्चा खाना खिलाते थे फैक्ट्री मालिक
मजदूरों ने बताया कि उन्हें शाम 4 बजे भोजन दिया जाता था। खाने में चावल और दाल होता था। लेकिन वह कच्चा होता था। उसे ठीक से पकाया नहीं जाता था। जब मजदूर विरोध करते तो उन्हें डरा धमकाकर चुप करा दिया जाता था।
उन्हें बाहर निकल कर कोई भी चीज खाने की इजाजत नहीं थी। फैक्ट्री का दरवाजा हमेशा बंद रहता था। मजदूर जब लंबे समय तक प्रताड़ित हो गए। तब इनमें से कुछ लोग चुपचाप रात को निकलकर भागे और बाहरी लोगों से मदद मांगी।