जांच अधिकारियों के अनुसार, डिस्टलरी संचालकों और मैन पावर सप्लाई करने वाले कारोबारियों से पूछताछ हो चुकी है। इन कारोबारियों से पूछताछ में अहम जानकारियां मिली है। इन जानकारियों के आधार पर जांच का दायरा बढ़ाया गया है।
आबकारी के जिन अफसरों पर एफआईआर दर्ज हुई है, उन सबको पूछताछ के लिए आने वाले दिनों में बुलाया जाएगा। EOW सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग के कुछ अफसरों को नोटिस भी भेजा गया है। जांच अधिकारियों के इस कदम के बाद आबकारी विभाग में हडकंप मचा हुआ है।
22 आबकारी अधिकारियों पर दर्ज है केस
शराब घोटाले के आरोप में EOW ने 22 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन आबकारी अधिकारियों को राज्य सरकार ने सस्पेंड भी कर दिया है। इन सभी पर आरोप है कि, प्रदेश में हुए घोटाले में सिंडिकेट में यह लोग शामिल थे। सिंडिकेट में काम कर रहे अफसरों को 88 करोड़ से ज्यादा की रकम मिली थी।
200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ कर EOW ने किया खुलासा
शराब घोटाले की परतें खोलने के लिए EOW अधिकारियों ने अब तक 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। इनमें कारोबारी, आबकारी विभाग के अफसर, रकम पहुंचाने वाले एजेंट, हवाला कारोबारियों सहित कई अन्य लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं।
सरकारी रिकॉर्ड में एंट्री न करने का था निर्देश
शराब दुकान संचालकों को आदेश दिया गया था कि सरकारी दस्तावेजों में खपत का रिकॉर्ड दर्ज न करें। बिना टैक्स चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब सप्लाई की जाती थी। जांच एजेंसी के आरोप पत्र के अनुसार, आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ।
शुरुआत में डिस्टलरी से हर महीने करीब 200 ट्रक (800 पेटी शराब से भरे) निकलते थे। एक पेटी की कीमत 2,840 रुपए तय थी। इसके बाद आपूर्ति बढ़कर 400 ट्रक प्रति महीने तक पहुंच गई और शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची जाने लगी। EOW की जांच में खुलासा हुआ कि तीन साल में 60 लाख से अधिक पेटियां अवैध रूप से बेची गईं।