मांझापारा के सामने एक पहाड़ी क्षेत्र है, जो भालू और तेंदुओं का गढ़ माना जाता है। यहां जंगली जानवरों का आना-जाना आम बात है। पार्षद खटवानी ने बताया कि भालू और लकड़बग्घा जैसे जानवर अक्सर दिखाई देते हैं, लेकिन वे घरों में नहीं घुसते। मोहल्ले में पहली बार तेंदुआ देखा गया है।
लोगों में दहशत का माहौल
पार्षद ने बताया कि मोहल्ले में बच्चे अक्सर गलियों में खेलते रहते हैं। दुधावा में बच्चों पर हुए हमले के बाद से लोगों में डर बना हुआ है। उन्होंने वन मंडल अधिकारी से मुलाकात कर तेंदुए को रेस्क्यू कर दूसरी जगह छोड़ने की मांग की है।
तेंदुए की मूवमेंट पर वन अमले की निगरानी
वन मंडल अधिकारी रौनक गोयल ने बताया कि विभाग की टीम तेंदुए की निगरानी कर रही है। क्षेत्र में जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, वहां नए कैमरे लगाए जा रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर तेंदुए को रेस्क्यू करने की योजना भी बनाई गई है।
इधर, चारामा ब्लॉक के ग्राम चंदेली में एक भालू ने प्राथमिक शाला परसा पारा में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की। भालू ने स्कूल की 5 खिड़कियों को तोड़ दिया। मध्यान्ह भोजन के लिए रखे 4 लीटर तेल को पी गया। साथ ही 40 किलोग्राम चावल को भी बर्बाद कर दिया।
जंगल की ओर निकला
स्कूल में भालू की मौजूदगी की सूचना मिलते ही प्रधान पाठक गौतम सिंह नेताम और सहायक शिक्षक अरुण कुमार मलेकर मौके पर पहुंचे। उन्होंने तुरंत वन विभाग को सूचित किया। जब टीम ग्रामीणों और शिक्षकों के साथ स्कूल में प्रवेश करने पहुंची, तो भालू पीछे के दरवाजे से जंगल की ओर भाग निकला।
इससे पहले भी स्कूल में घुस चुका है भालू
स्कूल के अंदर का नजारा देख सभी हैरान रह गए। रसोई कक्ष और ऑफिस रूम में सारा सामान बिखरा पड़ा था। शिक्षकों के अनुसार, यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई बार भालू स्कूल में घुसकर नुकसान पहुंचा चुका है। इससे बच्चों और स्टाफ की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई है। भालू ने स्कूल में रखे दर्पण, दरवाजे और कक्षाओं में रखी सामग्री को भी नुकसान पहुंचाया है।