छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपए शराब घोटाले में फंसे आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपए शराब घोटाले में फंसे आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। जस्टिस अरविंद वर्मा ने मामले में स्पष्ट किया कि, इतने बड़े घोटाले में आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता।

हाईकोर्ट ने आरोपियों को सरेंडर करने के बाद जमानत याचिका लगाने की सलाह भी दी है। याचिका खारिज होने के बाद आरोपी अफसरों की मुश्किलें बढ़ गई है। अब जल्द ही उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।

दरअसल, आबकारी घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने प्रदेश के कई जिलों में पदस्थ रहे आबकारी अफसरों के खिलाफ कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। EOW की जांच में सामने आया है कि, विभागीय मिलीभगत से ओवर बिलिंग, नकली बारकोड और डमी कंपनियों के जरिए अवैध वसूली की गई।

इसी मामले में पेश किए गए चालान के बाद कोर्ट ने पहले ही आरोपी अधिकारियों को 20 अगस्त तक उपस्थित होने का आदेश दिया था। जिसके बाद सभी दोषी अधिकारियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिकाएं लगाई थीं।

आरोपी अफसरों ने कहा- हम निर्दोष है

अग्रिम जमानत आवेदन में आरोपी अधिकारियों ने कहा है कि, सभी निर्दोष हैं, उन्हें झूठे केस में फंसाया जा रहा है। सभी अफसर ईओडब्ल्यू की जांच में सहयोग कर रहे हैं।

कई अफसरों ने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का जिक्र करते हुए जमानत देने का आग्रह किया। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी तर्कों को मानने से इनकार करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे केस में कठोर कार्रवाई जरूरी है।

शासन ने जमानत का किया विरोध

सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया गया। हाईकोर्ट को बताया गया कि चालान पेश होने की स्थिति में है, जिस पर सभी आरोपियों को उपस्थित होने का समय भी दिया गया।

लेकिन, वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते चालान प्रस्तुत नहीं हो सका है।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि आरोपी निचली अदालत में सरेंडर करें और वहीं से जमानत के लिए आवेदन लगाएं।

22 आबकारी अधिकारियों पर दर्ज है केस

शराब घोटाले के आरोप में EOW ने 22 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन आबकारी अधिकारियों को राज्य सरकार ने सस्पेंड भी कर दिया है।

इन सभी पर आरोप है कि, प्रदेश में हुए घोटाले में सिंडिकेट में यह लोग शामिल थे। सिंडिकेट में काम कर रहे अफसरों को 88 करोड़ से ज्यादा की रकम मिली थी।