कोर्ट ने शिक्षा सचिव को 2013 में जारी नियमों के पालन को लेकर व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है। उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन छात्रों का प्रवेश पहले से हो चुका है, वह निरस्त नहीं किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि इस आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि पहले से दाखिल छात्रों और उनके अभिभावकों को कोई कठिनाई न हो। विभाग को यह निर्देश भी दिया गया कि ऐसे छात्रों की याचिकाओं को स्वीकार किया जाए। अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
बिना मान्यता के स्कूल के आवेदन लंबित
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला लिया।
याचिकाकर्ता विकास तिवारी के वकीलों ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार नर्सरी से केजी-2 तक की कक्षाएं संचालित करने वाले सभी गैर शासकीय स्कूलों को मान्यता लेना अनिवार्य है, जबकि वर्तमान में कई स्कूल बिना मान्यता के चलाए जा रहे हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा दाखिल शपथपत्र में यह भी स्वीकार किया गया कि कई स्कूल बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं और आवेदन लंबित हैं।
पुस्तक खरीदने के दबाव मामले में 5 अगस्त को सुनवाई
सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिका में यह मुद्दा भी उठाया गया कि कुछ निजी स्कूल, कोर्ट से मिली अंतरिम राहत का दुरुपयोग करते हुए महंगी निजी पुस्तकों को खरीदने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे हैं।
न्यायालय ने इस मामले को भी वर्तमान जनहित याचिका के साथ जोड़ते हुए अगली सुनवाई की तारीख 5 अगस्त निर्धारित की है।
न्यायालय ने शिक्षा सचिव को यह निर्देश भी दिया है कि पूरे प्रदेश में संचालित गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए।