बिलासपुर के कोचिंग डिपो में कोच मरम्मत के दौरान ओएचई तार की चपेट में आने से मजदूर की मौत

Chhattisgarh Crimesबिलासपुर के कोचिंग डिपो में कोच मरम्मत के दौरान ओएचई तार की चपेट में आने से मजदूर की मौत के बाद बवाल शांत नहीं हो रहा है। पिछले 5 दिनों से मृतक प्रताप बर्मन के परिजन और समाज के लोग डीआरएम के बाहर डटे रहे। रात में बारिश के बीच भी नारेबाजी कर मुआवजा और नौकरी की मांग करते रहे। अब परिजन और प्रदर्शनकारियों को हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है। बता दें कि इस मामले में रेलवे अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया है। वहीं, हाईकोर्ट ने रेलवे के जीएम को मंगलवार तक शपथपत्र प्रस्तुत करने कहा है।

 

परिजन और समाज के लोग रविवार को सुबह से सभी रेलवे और जिला प्रशासन समेत जिम्मेदारों के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। धरनास्थल पर मृतक मजदूर प्रताप की तस्वीर रखे परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। जिला प्रशासन की पहल पर 21 लाख मुआवजे का प्रस्ताव

 

प्रदर्शन के दौरान तनाव और विवाद जैसी स्थिति न हो। लिहाजा, आरपीएफ के जवानों की भी ड्यूटी लगाई गई है, जो परिजन और समाज के लोगों के साथ अलग-अलग शिफ्ट में दिन और रात तैनात हैं।

 

दूसरी, तरफ जिला प्रशासन की पहल पर रेलवे प्रशासन ने 21 लाख 50 हजार रुपए मुआवजा देने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, परिजनों ने इसे ठुकरा दिया है। उनकी मांग है कि एक करोड़ मुआवजा राशि दी जाए। साथ ही मृतक की पत्नी को रेलवे नौकरी दे और उसके बच्चे की पढ़ाई का खर्च भी वहन करे। इन जिलों से समाज के पदाधिकारी पहुंचे धरना स्थल

 

रेलवे और प्रशासन के खिलाफ लगातार पीड़ित परिजन को कई संगठनों का समर्थन मिल रहा है। पांचवे दिन सर्व आदिवासी समाज के समर्थन के अलावा रायपुर, दुर्ग, नवागढ़, बेमेतरा, रायगढ़, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, सारंगढ़ जिलों के पदाधिकारी धरना स्थल पहुंचे। सभी ने मृतक प्रताप बर्मन के परिवार को आखिर तक लड़ाई में साथ खड़े रहने का विश्वास दिलाया है।

 

आरपीएफ के साथ जिला पुलिस बल 24 घंटे तैनात

 

मौके पर किसी भी अनहोनी से बचाव के लिए आरपीएफ और जिला पुलिस बल 24 घंटे डटे हुए हैं। सकरी और सिरगिट्टी थाना प्रभारी लगातार उनसे संवाद भी कर रहे हैं। हालांकि, पीड़ित परिवार पर उनका संवाद कोई प्रभाव नहीं डाल पा रहा है। आरपीएफ और जिला पुलिस बल के सभी अधिकारियों और फोर्स को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। खुद आरोपी न बन जाएं इसलिए शांतिपूर्ण आंदोलन

 

पीड़ित परिवार के साथ बैठे संजीत बर्मन ने बताया कि, यह आंदोलन पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए किया जा रहा है। यह पूरी तरह शांतिपूर्ण है। पीड़ित परिवार को न्याय रेलवे और प्रशासन को देना ही पड़ेगा। धरना स्थल पर कोई भी ऐसी गलती वे नहीं करेंगे, जिससे पुलिस उन्हें आरोपी बनाकर आंदोलन को प्रभावित कर सके।

 

हाईकोर्ट पर टिकी परिजन और प्रदर्शनकारियों की निगाहें

 

इस मामले को हाईकोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया है। पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने रेलवे के अफसरों पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। साथ ही रेलवे के जीएम को शपथपत्र के साथ जवाब देने के निर्देश दिए थे। मंगलवार यानी की कल इस केस की सुनवाई होनी है। ऐसे में परिजन और प्रदर्शनकारियों के साथ ही रेल प्रशासन को भी हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है