बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की दो महत्वपूर्ण परियोजनाएं विफल हो गई हैं। रेंट ए साइकिल योजना और प्लेनेटोरियम परियोजना में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में दोनों योजनाएं असफल साबित हुई हैं।
रेंट ए साइकिल योजना के तहत दो साल पहले शहर में पांच स्थानों पर 68 लाख की लागत लगाकर स्टैंड बनाए गए थे। इन स्टैंड पर जीपीएस से लैस साइकिलें रखी गई थीं। अब ये स्टैंड टूट-फूट रहे हैं। साइकिलें भी नदारद हैं। योजना में शामिल 30 साइकिलें देवकीनंदन कन्या स्कूल के एक कमरे में रखी हुई हैं।
वहीं, 7 करोड़ की लागत से बना प्लेनेटोरियम छत्तीसगढ़ का पहला कवर्ड प्लेनेटोरियम है। दो साल पहले इसकी शुरुआत की गई और अब यह दर्शकों को तरस रहा है। तारामंडल का शो अब हफ्ते में शनिवार और रविवार को ही बमुश्किल हो पाता है।
लोगों की दिलचस्पी नहीं होने के कारण बंद
स्मार्ट सिटी के उप प्रबंधक विकास पात्रे ने बताया कि हैप्पी स्ट्रीट और गांधी चौक के स्टैंड से साइकिलों का उपयोग नहीं हो रहा था। इसलिए अब इन्हें सेंट्रल यूनिवर्सिटी कोनी शिफ्ट किया जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि लोगों की दिलचस्पी नहीं होने के कारण सभी स्टैंड बंद हैं।
पात्रे ने कहा कि यह योजना पर्यावरण और लोगों की सेहत को ध्यान में रखकर शुरू की गई थी। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही नेहरू चौक, रिवर व्यू रोड, बस स्टैंड और यूनिवर्सिटी में नए स्टैंड बनाकर साइकिलें किराए पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
रायपुर में 2 करोड़ डूबे, बिलासपुर में 68 लाख
स्मार्ट सिटी ने जब रेंट ए साइकिल योजना शुरू की तो ‘दैनिक भास्कर’ ने रायपुर और भोपाल के हवाले खबर प्रकाशित कर योजना के फ्लॉप होने की आशंका जताई थी। रायपुर में 3 साल पहले आजाद चौक से रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रोड पर रेंट ए साइकिल योजना शुरू की गई, जो बंद हो चुकी है।
300 साइकिलें उपलब्ध कराने और स्टैंड तैयार करने 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए लेकिन ट्रॉयल के दौरान ही योजना को बेहतर रिस्पांस नहीं मिला, जिसके बाद उसे बंद कर दिया गया।
बिलासपुर में रेंट ए साइकिल योजना के अंतर्गत दिल्ली की फर्म शिवशक्ति को 68 लाख का ठेका दिया गया। ठेकेदार अपने कर्मचारी को काम सौंप कर दिल्ली चला गया है और यहां कोई कर्मचारी नहीं मिला, जिससे पूछताछ की सकती।