छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मानसिक रूप से परेशान एक बुजुर्ग ने एक साथ 6 सेविंग ब्लेड निगल लिए

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मानसिक रूप से परेशान एक बुजुर्ग ने एक साथ 6 सेविंग ब्लेड निगल लिए। जिसके बाद उन्हें खाने और थूक निगलने में परेशानी होने लगी। घटना रविवार सुबह की है। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे जहां 2 घंटे के ऑपरेशन के बाद ब्लेड निकाला गया, बुजुर्ग की हालत अब खतरे से बाहर है।

मामला सिम्स अस्पताल का है। डॉक्टरों को एक्स-रे रिपोर्ट में ब्लेड गले में फंसे होने की जानकारी मिली, तब आननफानन में एंडोस्कोपी के माध्यम से ब्लेड को गले से निकाल कर उनकी जान बचाई।

बताया जा रहा है बुजुर्ग की दिमागी हालत ठीक नहीं है, वह एक साल पहले हाथ का नश भी काट चुका है। डॉक्टरों का कहना है कि यदि ब्लेड समय पर नहीं निकलता तो गले की नली कट सकती थी।

थूक के साथ निकल रहा था खून

सिम्स के ईएनटी विभाग में पदस्थ डॉ विद्याभूषण साहू ने बताया कि उसलापुर में रहने वाले केपी मिश्रा (74) को रविवार (14 सितंबर) की सुबह गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया। उनके मुंह से थूक के साथ खून निकल रहा था। उन्हें कुछ भी खाने और थूक निगलने में परेशानी हो रही थी।

पूछताछ में कुछ भी बता नहीं पा रहे थे। उनकी हालत को देखते हुए डाक्टरों ने तत्काल ईएनटी के डाक्टरों को इसकी सूचना दी गई। तब डॉ विद्याभूषण मरीज को देखने पहुंचे। उन्होंने मरीज का एक्स रे कराने कहा। एक्स रे रिपोर्ट में पता चला कि मरीज के गले में सेविंग ब्लेड फंसे हुए हैं।

दो घंटे की मशक्कत के बाद निकाली ब्लेड

डॉक्टर ने ईएनटी के एचओडी डॉ आरती पांडेय को इसकी जानकारी देकर ऑपरेशन की तैयारी के निर्देश दिए। साथ ही इसकी सूचना एनेस्थिया विभाग की प्रमुख डा मधुमिता मूर्ति को दी गई। आपरेशन थिएटर में डॉक्टरों ने तुरंत मरीज के ऑपरेशन की तैयारी की।

करीब दो घंटे तक डॉक्टर ब्लेड निकालने के लिए मशक्कत करते रहे। फिर एंडोस्कोपी के जरिए उनके गले से ब्लेड निकाली गई।

जरा चूक से जा सकती थी जान

सिम्स के डॉ विद्याभूषण साहू ने बताया कि रविवार सुबह करीब 10 बजे मरीज की स्थिति बहुत गंभीर थी। ब्लेड बेहद खतरनाक जगह पर फंसे थे। इससे कटकर खून भी निकलने लगा था। जरा सी देरी से मरीज की स्थिति और भी बिगड़ सकती थी।

डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी (दूरबीन तकनीक) से गले के अंदर जाकर ब्लेड निकालने का सावधानीपूर्वक ऑपरेशन किया। सभी 6 ब्लेड निकालने के बाद गले की अंदरूनी चोटों का इलाज किया गया। छोटी सी चूक भी गले की नली फटने, सांस रुकने जैसी जानलेवा स्थिति पैदा कर सकती थी।

क्या है एंडोस्कोपी

एंडोस्कोपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है। जिसमें एंडोस्कोप नामक एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब का उपयोग करके शरीर के आंतरिक अंगों की जांच की जाती है। जिसके सिरे पर कैमरा और लाइट लगी होती है। यह डॉक्टरों को अंदर की तस्वीरें और वीडियो देखने में मदद करती है।

इसकी मदद से अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने, बायोप्सी करने और उपचार करने में सुविधा होती है। एंडोस्कोप कई प्रकार के होते हैं। जैसे कोलनोस्कोपी और आर्थ्रोस्कोपी जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों की जांच के लिए उपयोग किए जाते हैं।